बरेली: निगम की लापरवाही... ऑटो, टेंपो, होटल और बार से नहीं की शुल्क वसूली
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बरेली, अमृत विचार। राजस्व की स्थिति पर नीचे से ऊपर तक तमाम समीक्षा होती है लेकिन नगर निगम में फिर भी टैक्स के लक्ष्य और वसूली में जमीन-आसमान जैसा अंतर हर साल रहता है। पिक्चर हॉल, बार, ऑटो और टेंपो से टैक्स की वसूली के लिए हर साल लक्ष्य तय किए जाते हैं जो खानापूरी में निपट जाते हैं।
इस मद में कई सालों से नगर निगम की वसूली 20 प्रतिशत भी नहीं हो पाई है। पिछले साल एक करोड़ के लक्ष्य के सापेक्ष सिर्फ 14 लाख वसूल हो पाए थे। इस वित्तीय वर्ष के आठ महीने में इसकी आधी भी वसूली नहीं हुई है।
अफसरों का बहाना है कि उपविधि की अलग-अलग मदों की वसूली के लिए नगर निगम में पर्याप्त स्टाफ नहीं है। जो कर्मचारी हैं, उनकी व्यस्तता मुख्य टैक्स की वसूली में रहती है। इसके अलावा उन्हें नोटिस भी बांटने होते हैं और किराए की भी वसूली करनी होती है। कार्यालय में फाइलें निपटाने का बोझ भी उनके सिर पर है। इसी वजह से लाइसेंस शुल्क की वसूली करना संभव नहीं हो पाता।
अफसर कभी नहीं पूछते- क्यों नहीं की गई लाइसेंस शुल्क की वसूली
दरअसल, बजट में प्रावधान के बावजूद लाइसेंस शुल्क की वसूली पर अफसरों का ही ध्यान नहीं जाता। इस बात की कभी समीक्षा नहीं होती कि किस कर्मचारी ने वसूली के लिए क्या प्रयास किए।
टैक्स विभाग के अफसर, सुपरवाइजर और कर्मचारियों को पता होता है कि इस मामले में उनकी कोई जवाबदेही नहीं होनी है, इसी कारण वे भी बेपरवाह रहते हैं। बता दें कि कानपुर नगर निगम में उपविधि के मदों में शामिल ऑटो और टेंपो से लाइसेंस शुल्क की वसूली बरेली की तुलना में कई गुना ज्यादा है। ऐसा ही मेरठ नगर निगम में है।
कई जगह बार से लाइसेंस शुल्क लिया गया है। इस बारे में जिला आबकारी अधिकारी से भी वार्ता हुई है। आटो टैम्पों सहित होटल, नर्सिंग होम से भी लाइसेंस शुल्क की वसूली कराएंगे। पिछली बार से इस बार बेहतर राजस्व आएगा। - अजीत कुमार सिंह, अपर नगर आयुक्त
पहले हत्थू ठेलों से भी लाइसेंस शुल्क लिया जाता था। अब ई रिक्शा चलने लगे हैं। उनका शुल्क ही तय नहीं किया गया है। पिछली बार सिर्फ 14 लाख 11 हजार रुपये की वसूली हुई थी। इस बार भी एक करोड़ का लक्ष्य है लेकिन वसूली हो पाना मुश्किल लग रहा है। - राजेश अग्रवाल, सपा पार्षद
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