आगरा मामले में डीएनए रिपोर्ट प्रस्तुत न करने पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आगरा के बाल गृह में 15 महीने से निरुद्ध साढ़े आठ साल की मासूम को उसकी यशोदा मैया से मिलने की इजाजत दे दी है। मालूम हो कि करीब साढ़े आठ साल पहले एक सर्द रात में किन्नर ने टेढ़ी बगिया क्षेत्र में रहने वाली महिला को यह नवजात बच्ची सौंपी थी। खुद के चार बच्चे होते हुए भी यशोदा ने इस बच्ची को अपनाने में तनिक भी हिचक नहीं दिखाई।
कानूनी दांव-पेच का विचार किए बिना उसने बच्ची का तत्काल इलाज कराया और पालन-पोषण करने लगी। सात साल तक बच्ची उसके परिवार का अभिन्न अंग बनकर रही। इस बीच किन्नर की नीयत खराब हुई और वह बच्ची को उठा ले गया। बाल कल्याण समिति, फर्रुखाबाद के यहां बच्ची ने यशोदा को ही अपनी मां के रूप में पहचाना और उनके साथ जाने की इच्छा जाहिर की।
बच्ची यशोदा को सौंपी भी गई, लेकिन बाल कल्याण समिति, आगरा ने आठ माह बाद ही कमजोर आर्थिक स्थिति का आधार बनाते हुए बच्ची को फिर बाल गृह भेज दिया। बाल अधिकार कार्यकर्ता नरेश पारस ने यह मामला राज्य बाल आयोग के समक्ष उठाया।
आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने बच्ची को देखभाल के लिए यशोदा को देने का आदेश दिया, लेकिन यह मान्य नहीं हुआ। आहत यशोदा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनके अधिवक्ता ने सबूतों के तौर पर आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र तथा शैक्षिक प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये।
तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि बाल कल्याण समिति ने बाल हित में फैसला नहीं लिया। पूरे घटनाक्रम में एक नया मोड़ तब आया, जब आगरा के नितिन गर्ग ने कोर्ट में दावा किया कि बच्ची के जैविक पिता वह हैं। वर्ष 2015 में उनकी नवजात बच्ची घर से अगवा हो गई थी, जिसकी एत्मादपुर थाने में प्राथमिकी भी दर्ज करवाई गई थी।
बच्ची की मार्मिक स्थिति को देखकर कोर्ट ने भी मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए शुक्रवार को मामले की तीन बार सुनवाई की। सुबह 10ः10 बजे ही कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता से डीएनए रिपोर्ट के बारे में पूछा। 10ः30 बजे सरकारी अधिवक्ता ने प्रशासनिक अधिकारियों से बात करके कोर्ट को बताया कि विधि विज्ञान प्रयोगशाला से जानकारी मांगी जा रही है।
कोर्ट ने फिर 12ः15 बजे केस की सुनवाई की, जिसमें कोर्ट को बताया गया कि अभी लैब में जांच नहीं हो पाई है। इससे नाराज कोर्ट ने प्रयोगशाला के अधिकारियों को जांच करके जल्द रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया है। उक्त मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी 2024 को होगी, लेकिन पालनहार मां को राहत देते हुए बच्ची से मिलने की अनुमति दे दी गई है।
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