लखीमपुर खीरी: भाजपा नेता जुगुल किशोर एक बार फिर सुर्खियों में आए...अब पूर्व प्रमुख ने लगाए गंभीर आरोप 

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Published By Vishal Singh
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बसपा से रह चुके राज्य सभा सांसद, बसपा छोड़कर भाजपा में हुए थे शामिल 

लखीमपुर खीरी, अमृत विचार। भाजपा नेता जुगुल किशोर एक बार फिर अपने कारनामों को लेकर सुर्खियों में आ गए हैं। अब उन पर एक पूर्व ब्लॉक प्रमुख राधेश्याम भार्गव ने भाजपा नेता पर जान से मारने की धमकी देने और मन्दिर के निर्माण में बाधा डालने के गंभीर आरोप लगाकर सनसनी मचा दी है, जिसके बाद पुलिस-प्रषासन सहित आला अधिकारी मामले को रफा-दफा करने की कोषिषों में जुट गए हैं। जबकि इससे पहले भी वह कई बार विवादों में आ चुके है, जिससे पार्टी की छवि पर नकारात्मक असर पड़ने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। 

बता दें कि भाजपा नेता जुगुल किशोर मितौली क्षेत्र के गांव चुरईपुरवा के निवासी हैं। वह पहले बसपा सरकार के समय कद्दावर नेता हुआ करते थे, जिस दौरान वह एमएलसी बने। फिर बसपा द्वारा उन्हें राज्य सभा सांसद भी बनाया गया था। बसपा सरकार के पराभव के साथ उन्होंने मौका देखकर 2017 विधानसभा चुनाव से पहले पाला बदलते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था। इसके बाद 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने पुत्र सौरभ सिंह सोनू को भाजपा से कस्ता विधानसभा का टिकट दिलवाया और जीत भी हासिल हुई।

इसके बाद से वह भाजपा में बने हुए हैं, लेकिन अपनी गतिविधियों को लेकर आए-दिन सुर्खियों में भी बने रहते हैं। बताते चलें कि कुछ माह पूर्व मैगलगंज क्षेत्र के ग्राम खखरा में हाईवे किनारे स्थित जमीन पर कब्जा करने के लिए उन्होंने बुलडोजर चलवाकर षौचालय समेत बाउंड्री तोड़वा दी थी, जिसके बाद पीड़ित परिवार ने सामूहिक आत्महत्या करने की धमकी देकर भूचाल ला दिया था।

मामला सत्ता पक्ष के नेता से जुड़ा होने के कारण पुलिस-प्रषासन ने मामले को जोर-दबाव डालकर किसी तरह रफा-दफा करवा दिया था। जबकि यह मामला कई दिनों तक मीडिया की सुर्खियों में छाया रहा था। इसके अलावा पिछले वर्ष 2022 में मैगलगंज क्षेत्र के एक पूर्व प्रधान ने गांव में पूजा स्थल को नष्ट कराने का भी आरोप लगाते हुए षिकायत की थी, जिसमें षासन स्तर से अधिकारी नामित कर जांच कराई गई थी।

वहीं इनके पुत्र विधायक सौरभ सिंह सोनू के खिलाफ भी लेनदेन के विवाद में एक जेसीबी मषीन को जबरन अपने भट्ठे पर खड़ा कर लेने का मामला करीब तीन साल पहले सामने आया था, जिसमें पीड़ित व्यक्ति द्वारा डीएम समेत मंडलायुक्त लखनउ से षिकायत की गई थी। इस मामले को भी जांच के बाद दबा दिया गया था। इसके अलावा कई मामले ऐसे भी हैं जिनमें पीड़ितों ने डर के मारे षिकायत ही नहीं की या फिर उन्हें भरोसा था कि सत्ता पक्ष के नेता के विरूद्ध पुलिस-प्रषासन द्वारा कोई कार्रवाई किया जाना संभव ही नहीं है। 

मैं पार्टी की मीटिंग के सिलसिले में लखनउ गया था, जिससे मुझे मितौली क्षेत्र में हुए घटनाक्रम की जानकारी नहीं हो सकी। अब मामले की जानकारी ली जाएगी। तभी कुछ कह पाउंगा- सुनील सिंह, जिलाध्यक्ष, भाजपा।

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