लखीमपुर-खीरी: जिस महकमे पर गड़बड़ी रोकने की जिम्मेदारी, वही कर रहे खेल भारी...जानिए मामला
कुल 12590 किसानों में से अकेले विपणन शाखा ने 6280 किसानों से खरीदा धान
फोटो- मंडी समिति राजापुर में धान क्रय केंद्र पर पसरा सन्नाटा और व्यापारियों के यहां लगे धान के ढेर।
लखीमपुर खीरी, अमृत विचार। सरकारी धान खरीद शुरू हुए ढाई माह से अधिक समय बीत चुका है और मंडियो में किसानों द्वारा धान की आवक लगभग बंद हो चुकी है, लेकिन ग्राम व्यापारियों द्वारा आढ़तों पर धान लाया जा रहा है। इस कारण क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा रहता है। इसके बावजूद कागजों पर धान खरीद का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है।
खास बात यह है कि जिस खाद्य एवं रसद विभाग पर धान खरीद में गड़बड़ी रोकने की जिम्मेदारी है, उसी के अधिकारी धान खरीद में सबसे भारी खेल कर रहे हैं। 18 दिसंबर तक पांच क्रय एजेंसियों द्वारा कुल 12590 किसानों से धान खरीद की गई है, जिसमें खाद्य एवं रसद विभाग की एजेंसी विपणन शाखा ने अकेले 6280 किसानों से धान खरीद करना दर्शाया है।
जबकि अन्य दो एजेंसियों पीसीएफ व पीसीयू द्वारा विपणन शाखा से अधिक क्रय केंद्र होने के बावजूद उनकी खरीद आगे नहीं बढ़ पा रही है। इससे विपणन शाखा की खरीद को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं कि उनके पास कहां से किसान धान बेचने के लिए आ रहे हैं।
बता दें कि सरकारी धान खरीद हमेशा की तरह इस बार भी सवालों के घेरे में आ गई है। क्योंकि एक अक्तूबर से प्रारंभ होने वाली धान खरीद के शुरूआत के महीने में तो क्रय केंद्रों पर मानकों की दुहाई देकर किसानों का धान खरीदा नहीं गया। इसके बाद नवंबर का भी पहला पखवाड़ा मानकों की आड़ में निकाल दिया गया, जिससे किसानों को मजबूरन अपना धान मंडियों में आढ़तों व राइस मिलर्स के पास औने-पौने दामों में बेचना पड़ा था।
क्रय केंद्रों पर जहां धान का रेट 2183 रूपये प्रति क्विंटल है, तो वहीं राइस मिलर्स व व्यापारियों ने 1700 से 1800 रूपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदा था। इस तरह करीब 400 रूपये प्रति क्विंटल तक किसानों को नुकसान झेलना पड़ा, क्योंकि धान को स्टॉक करके रखने की व्यवस्था ज्यादातर किसानों के पास नहीं है।
इस दौरान दिवाली समेत कई त्योहार के चलते भी किसानों को घर का खर्च चलाने के लिए धान बेचना पड़ा। अब किसानों के पास धान बचा नहीं है। ज्यादातर किसान गन्ने की छिलाई-कटाई में व्यस्त हैं और गन्ना क्रय केंद्रों पर गन्ने की तौल कराने में लगे हैं। इसी कारण अधिकांश सरकारी धान क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा रहता है और मंडियों में भी व्यापारियों की आढ़त पर धान की आवक काफी कम रह गई है। बल्कि ग्राम व्यापारी ही धान बेचने के लिए मंडियों में पहुंच रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ क्रय एजेंसियों के धान खरीद का ग्राफ आगे बढ़ता जा रहा है, जिसमें 38 क्रय केंद्र खोलने वाली विपणन शाखा के आंकड़े सबसे तेजी से भाग रहे हैं। प्रतिदिन 150 से 200 किसानों से धान खरीद दशाई जा रही है। बताते चलें कि क्रय एजेंसी खाद्य एवं रसद विभाग की विपणन शाखा के 38 क्रय केंद्र, पीसीएफ के 64 क्रय केंद्र, पीसीयू के 50 क्रय केंद्र, यूपीएसएस के 13 क्रय केंद्र और एफसीआई के चार क्रय केंद्र सहित कुल 169 क्रय केंद्र खोले गए हैं। सभी क्रय एजेंसियों को कुल 2.50 लाख मीट्रिक टन धान खरीद करने का लक्ष्य मिला है।
कम क्रय केंद्र होने के बावजूद सबसे तेज धान खरीद
खाद्य एवं रसद विभाग की विपणन शाखा ने 38 धान क्रय केंद्र खोले हैं, जो पीसीएफ (64) और पीसीयू (50) के केंद्रों से कहीं अधिक हैं। नोडल एजेंसी होने के कारण मानीटरिंग का जिम्मा भी खाद्य एवं रसद विभाग पर है।
विपणन शाखा के धान खरीद के आंकड़े सबसे तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, जिससे 18 दिसंबर 2023 तक इसके क्रय केंद्रों पर 6280 किसानों से 53597.200 मीट्रिक टन धान खरीद दर्शाई गई है। जबकि पीसीएफ के 64 क्रय केंद्रों पर 2947 किसानों से 24808.154 मीट्रिक टन और पीसीयू के 50 क्रय केंद्रों पर 2729 किसानों से 23013.911 मीट्रिक टन धान खरीद हुई है।
धान की आवक कम होने से क्रय एजेंसियों की धान खरीद धीमी हुई है। एजेंसियों को वास्तविक किसानों से ही धान खरीद करने के कड़े निर्देश दिए गए हैं। यदि कोई गड़बड़ी करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी---संजय कुमार सिंह, एडीएम (जिला खरीद अधिकारी) ।
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