Kanpur: माघ मेला पर बंदी से संकट में लेदर इंडस्ट्री… कारोबारी आक्रोशित, बोले- सूखा काम करने वाले उद्योगों के लिए फैसला हो वापस

कानपुर में माघ मेला पर बंदी से संकट में लेदर इंडस्ट्री।

Kanpur: माघ मेला पर बंदी से संकट में लेदर इंडस्ट्री… कारोबारी आक्रोशित, बोले- सूखा काम करने वाले उद्योगों के लिए फैसला हो वापस

कानपुर में माघ मेला पर बंदी से संकट में लेदर इंडस्ट्री है। जिससे कारोबारी आक्रोशित है। वहीं, सूखा काम करने वाले उद्योगों के लिए फैसला वापस हो।

कानपुर, अमृत विचार। माघ मेला के लिए शासन ने टेनरियों और अन्य प्रदूषणकारी उद्योगों को बंद करने का आदेश  दिया है। इसमें प्रदूषणकारी उद्योगों की श्रेणी में आने वाली सूखा काम करने वाली इकाइयों को भी बंद करने को कहा गया है। ऐसे में उद्यमी सवाल खड़ा कर रहे हैं कि जिन उद्योगों से पानी निकलता ही नहीं है, उन्हें क्यों बंद किया जा रहा है।

जाजमऊ की टेनरियों के पानी का शोधन करने के लिए बनाए गए 20 एमएमलडी प्लांट में 10 एमएलडी का शोधन शुरू हो गया है। इसके बाद भी टेनरियां बंद करने का फरमान बेतुका है। जब यह प्लांट बन रहा था तो दावा किया गया था कि शुरू होने पर टेनरियां बंद नहीं होंगी। साढ़े तीन सौ टेनरियां विशेष पर्वों पर चार-चार दिन बंद होने से उद्यमी समय से आर्डर पूरे नहीं कर पाएंगे।

12 जनवरी से 8 मार्च तक टेनरियों की चार-चार दिन बंदी से उद्यमियों को करोड़ों का नुकसान होगा। उद्यमियों की सबसे ज्यादा नाराजगी सूखा काम करने वाले उद्योगों की बंदी पर है। उनका कहना है कि कोरोनाकाल के नुकसान से चर्म उत्पादक उबर नहीं पाए हैं कि रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास युद्ध की वजह से निर्यात प्रभावित हुआ है। उद्यमी अब इस मुद्दे को मुख्य सचिव और औद्योगिक विकास एवं अवस्थापना आयुक्त के समक्ष उठाने की तैयारी कर रहे हैं।

10 एमएलडी का शोधन शुरू 

जाजमऊ टेनरी क्लस्टर के लिए वाजिदपुर में बने 20 एमएलडी क्षमता के कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट में 10 एमएलडी का शोधन हो रहा है। करीब इतना ही पानी 350 टेनरियों से निकलता है। ऐसे में टेनरियां बंद किए जाने से उद्यमी परेशान हैं। उनका कहना है कि यह प्लांट 454 करोड़ रुपये से बनाया गया है। अब तो टेनरियां बंद नहीं होनी चाहिए। 

12 नाले बंद नहीं कर रहे 

रानीघाट, परमिया, गोलाघाट, सत्तीचौरा, डबका नाला, मदारपुर नाला, किशनपुर नाला सीधे गंगा नदी में गिर रहे हैं। यह आंकड़ा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का है। सहायक पांडु नदी में पांच सीवेज नाले गंदा नाला, हलवा खांडा, अर्रा नाला, सागरपुरी नाला, पिपौरी नाला गिर रहे हैं। इस तरह 12 नाले गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं। इन्हें बंद करने की कोई योजना नहीं है।  

बहुत से ऐसे उत्पाद है जो बिना पानी के बनाए जाते हैं। उन्हें इस निर्णय से छूट देनी चाहिए। हम लोग अपर सचिव से मुलाकात कर अपनी बात रखेंगे।- मनोज बंका, प्रांतीय अध्यक्ष, प्रविंशियल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

पूरी तरह से उद्योग बंद करने से कारोबारियों का बड़ा नुकसान होगा। इस पर दोबारा विचार किया जाए। कारोबारियों को नुकसान से सरकार को भी राजस्व हानि होगी।- प्रवीण शर्मा, कारोबारी

यह नियम सिर्फ दो सालों से लागू किया जा रहा है। इससे पहले ऐसी बंदी नहीं होती थी। चमड़ा उद्योग में भी बहुत से ऐसे काम है जो बगैर पानी के होते हैं। इस बंदी से निर्यात प्रभावित होगा।- अशद ईराकी, अध्यक्ष, लेदर इंडस्ट्रीज वेलफेयर एसोसिएशन

निर्यात के बचे ऑर्डर लेट हो सकते हैं। चमड़ा निर्यात पहले से ही काफी संकट से गुजर रहा है। पूरी तरह बंदी के बाद उद्योग खुलने पर लोड बढ़ेगा। निर्यात रुकने से गुडविल खराब होगी।- डॉ. जफर नफीस, निर्यातक

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