कोविड से पहले ही युवाओं में भावनात्मक समस्याओं में हो रही थी वृद्धि
कार्डिफ (ब्रिटेन)। महामारी के दौरान सिर्फ वायरस ही नहीं फैला - चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं में भी चिंताजनक वृद्धि देखी गई। हालांकि, मैं और मेरे सहकर्मियों का नया शोध इस बात की पुष्टि करता है कि कोविड-19 से पहले ही युवाओं में भावनात्मक समस्याओं में काफी वृद्धि हो चुकी थी। किशोरावस्था वह उम्र होती है, जब व्यक्तियों में विशेष रूप से मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा होता है, जो बाद में वयस्क होने तक जारी रह सकती है।
अध्ययनों ने हाल के दशकों में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों में भारी वृद्धि दर्शाने वाले रुझानों पर प्रकाश डाला है। हालांकि, इस वृद्धि के लिए अक्सर दिए जाने वाले कारण, जैसे पारिवारिक जीवन में बदलाव, स्कूल के कारक और सोशल मीडिया, सभी मुद्दों को पूरी तरह से स्पष्ट नहीं करते हैं। हम जानना चाहते थे कि क्या 2013 और 2019 के बीच वेल्स में युवाओं में भावनात्मक समस्याओं की दर में वृद्धि हुई है और क्या युवाओं के समूहों, जैसे लड़के और लड़कियों या अमीर या गरीब परिवारों के बीच रुझान में कोई अंतर है।
हम यह भी पता लगाना चाहते थे कि क्या मित्रता की गुणवत्ता में बदलाव और समय के साथ डराने-धमकाने की व्यापकता किशोरों की भावनात्मक समस्याओं में किसी भी वृद्धि को प्रतिबिंबित करती है। साथ ही क्या ये कारक इस वृद्धि के एक हिस्से को समझा सकते हैं। अच्छी गुणवत्ता वाली मित्रता बेहतर स्वाभिमान और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी होती है, जबकि डराना-धमकाना खराब मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी होती है। हमने माध्यमिक विद्यालय के बच्चों के डेटा का उपयोग किया, जो स्कूल स्वास्थ्य अनुसंधान नेटवर्क के माध्यम से हर दो साल में एकत्र किया जाता है।
इसका उपयोग स्वास्थ्य के लिए जोखिम कारकों के बारे में हमारी समझ बढ़ाने और वेल्स में युवाओं के जीवन को बेहतर बनाने के लिए विद्यालयों और अन्य संगठनों की मदद करने के लिए किया जाता है। छात्रों ने भावनात्मक समस्याओं के बारे में सवालों के जवाब दिए, जिसमें यह भी शामिल है कि वे कितनी बार उदास, चिड़चिड़े, घबराए हुए और नींद में दिक्कत महसूस करते हैं। उन्होंने व्यक्तिगत और ऑनलाइन दोनों तरह से मित्रता की गुणवत्ता और डराने-धमकाने के बारे में सवालों के जवाब दिए। कुल मिलाकर, हमने 2013, 2017 और 2019 में वेल्श माध्यमिक विद्यालयों के तीन सर्वेक्षणों से 11 से 16 वर्ष की आयु के 200,000 से अधिक छात्रों के डेटा को देखा।
भावनात्मक समस्याओं में वृद्धि
हमने 2013 और 2019 के बीच वेल्स में युवाओं के बीच भावनात्मक समस्याओं में काफी वृद्धि देखी। उच्च संख्या में भावनात्मक समस्याओं वाले युवाओं का अनुपात 23 प्रतिशत से बढ़कर 38 प्रतिशत हो गया। हमारे निष्कर्ष इस अवधि के दौरान भावनात्मक विकारों, बच्चों और किशोरों की मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के रेफरल और युवाओं द्वारा खुद को क्षति पहुंचाने और आत्महत्या की बढ़ती दरों के अनुरूप हैं। हमारा अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि मौजूदा मानसिक स्वास्थ्य असमानताएं 2020 से पहले भी खराब हो रही थीं। यह विशेष रूप से चिंताजनक प्रवृत्ति है, क्योंकि यह कोविड से पहले की है, जिसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाने के लिए जाना जाता है।
लड़कियों और गरीब परिवारों की भावनात्मक समस्याओं में अत्यधिक वृद्धि का अनुभव हुआ। इस खोज के कारण जटिल हैं। हालांकि, हमारा अध्ययन संभावित कारणों की पड़ताल नहीं करता है, लेकिन अन्य शोध से पता चलता है कि अमीर होने से परिवारों को बेहतर आवास, पर्याप्त भोजन, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल और आम तौर पर कम तनाव मिलता है। लड़कियों में खराब मानसिक स्वास्थ्य के कई संभावित कारण हैं, जिनमें सेक्स हार्मोन, कम आत्मसम्मान, लैंगिक हिंसा और - सामाजिक स्तर पर - लैंगिक समानता की कमी और भेदभाव शामिल है। लेकिन इस क्षेत्र में पर्याप्त शोध नहीं किया गया है।
ये भी पढ़ें:- मुरादाबाद : आईएफटीएम के छात्र पर फायर झोंकने में तीन पर एफआईआर
