बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मिलेगा भारत रत्न, मोदी सरकार ने किया ऐलान

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Published By Vishal Singh
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नई दिल्ली। दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे और बिहार में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की राजनीति के सूत्रधार माने जाने वाले कर्पूरी ठाकुर का नाम मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ के लिए चुना गया है। राष्ट्रपति भवन ने मंगलवार को उनकी जन्म शताब्दी की पूर्वसंध्या पर यह घोषणा की। ‘जननायक’ के रूप में मशहूर ठाकुर पहले गैर-कांग्रेसी नेता थे जो दिसंबर 1970 से जून 1971 तक और दिसंबर 1977 से अप्रैल 1979 तक दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे।

उनका 17 फरवरी, 1988 को निधन हो गया था। ठाकुर से पहले 2019 में दिवंगत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था। नाई समाज से संबंध रखने वाले ठाकुर का जन्म 24 जनवरी, 1924 को हुआ था। उन्हें बिहार की राजनीति में 1970 में पूरी तरह शराब पाबंदी लागू करने का श्रेय दिया जाता है। समस्तीपुर जिले में जिस गांव में उनका जन्म हुआ था, उसका नामकरण कर्पूरी ग्राम किया गया।

ठाकुर ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी थी और उन्हें 1942 से 1945 के दौरान ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था। वह राम मनोहर लोहिया जैसे नेताओं से प्रभावित थे जिन्होंने स्वतंत्र भारत में समाजवादी आंदोलन चलाया था। वह जयप्रकाश नारायण के भी करीबी थे।

मुख्यमंत्री के रूप में ठाकुर के कार्यकाल को मुंगेरी लाल आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए भी याद किया जाता है जिसके तहत राज्य में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू किया गया था। मुंगेरी लाल आयोग ने अत्यंत पिछड़ा वर्ग नाम से एक उप-श्रेणी बनाई थी जिसके आधार पर बाद में नीतीश कुमार ने ‘अति पिछड़ा’ का मुद्दा बनाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह हाशिए पर पड़े लोगों के लिए एक योद्धा और समानता व सशक्तीकरण के दिग्गज के रूप में उनके स्थायी प्रयासों का एक प्रमाण है।

मोदी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने सामाजिक न्याय के प्रकाशस्तंभ महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न देने का निर्णय लिया है और वह भी ऐसे समय में जब हम उनकी जन्म शताब्दी मना रहे हैं।" प्रधानमंत्री ने कहा कि दलितों के उत्थान के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता और उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर एक अमिट छाप छोड़ी है।

उन्होंने कहा, "यह पुरस्कार न केवल उनके उल्लेखनीय योगदान का सम्मान करता है बल्कि हमें एक अधिक समावेशी और न्यायसंगत समाज बनाने के उनके मिशन को जारी रखने के लिए भी प्रेरित करता है।"

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुशी जताते हुए कहा कि उनकी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) की बहुत पुरानी मांग पूरी हो रही है जिससे समाज के वंचित तबकों में सकारात्मक संदेश जाएगा। ठाकुर पहली बार 1952 में बिहार विधानसभा के लिए चुने गए और वह 1988 में निधन तक लगातार विधायक रहे।

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