एआई की नैतिकता
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कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) ही नहीं बल्कि किसी भी तकनीकी का इस्तेमाल विकास या विनाश फैलाने के लिए किया जा सकता है। एआई अक्सर विवाद का शिकार बनती है। प्रौद्योगिकी के नैतिक उपयोग के बारे में दुनिया भर में कई बातचीत हो रही हैं।
प्रौद्योगिकी से किस तरह सार्वजनिक कल्याण में वृद्धि हो सकती है, वो भी महत्वपूर्ण मानवीय संपर्क को हटाए बिना, जो कि सरकारों व नागरिकों के बीच संवाद के लिए बेहद अहम है। एआई, जलवायु परिवर्तन से निपटने और एसडीजी हासिल करने में योगदान दे सकती है। उदाहरण के लिए, एआई को किन भूमिकाओं में इंसानों की जगह लेनी चाहिए? व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा और मानवाधिकारों के संभावित उल्लंघन के लिए क्या किया जा रहा है? उस डेटा का उपयोग कैसे किया जाना चाहिए और इसका उपयोग किस उद्देश्य से किया जाना चाहिए?
एआई नैतिकता को अभी भी एक लंबी यात्रा तय करनी है कई विशेषज्ञों का तर्क है कि नैतिक एआई एक जिम्मेदार भविष्य के लिए आवश्यक है जहां हम सामाजिक भलाई, स्थिरता और समावेशन जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। यूनेस्को ने पहली बार 2021 में, एआई की नैतिकता पर अपनी सिफारिशें पेश की थीं, जब दुनिया का अधिकांश हिस्सा एक और अन्तर्राष्ट्रीय संकट, कोविड-19 महामारी से घिरा था।
एआई के दोहरे इस्तेमाल को लेकर असमंजस की स्थिति इसलिए भी है क्योंकि अभी तक कोई ये समझ नहीं पाया है कि आम जीवन में इसका क्या असर होगा, फिर भी सभी एआई क्षेत्र के लीडर बनने की दौड़ में हैं। एआई टूल्स को विकसित करने वाली कंपनियों में पिछले 4-5 साल में निजी पूंजी निवेश में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि एआई पर अविश्वास करना एक अच्छा संकेत है।
जिस तरह एआई टूल्स विकसित किए जाते हैं उसे देखते हुए इन पर पूरी तरह भरोसा करना ठीक नहीं है लेकिन साथ ही ये भी याद रखना जरूरी है कि स्वास्थ्य, शिक्षा और सतत विकास के क्षेत्र में एआई का बेहतरीन इस्तेमाल हो सकता है। यूनेस्को की सिफारिशों ने वास्तव में हमें एआई और नियमों के बारे में आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद की है।
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