Special Story : पांचवी सदी का इतिहास समेटे है बेरनी का प्राचीन शिव मंदिर

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Published By Bhawna
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गांव के टीलों की खुदाई में निकल चुकी है पांचवी सदी की मूर्तियां ,टीलों की खुदाई पर पुरातत्व विभाग ने लगा रखी है रोक

गांव बेरनी स्थित प्राचीन शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग

श्याम मिश्रा/जुगल किशोर शर्मा/अमृत विचार। संभल जिले के चंदौसी में थाना कुढ़फतेहगढ़ थाना क्षेत्र के गांव बेरनी का प्राचीन शिव मंदिर वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां हर वर्ष महाशिवरात्रि व सावन माह में हजारों श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। साथ मंदिर का प्राचीन एतिहासिक महत्व है।  साथ ही मंदिर परिसर में पांच दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। 

सितंबर 2009 में गांव में टीले की खुदाई के समय भगवान विष्णु की खंडित चतुर्भुज प्रतिमा मिलने से बेरनी गांव चर्चा में आया। आज भी प्रतिमा मंदिर में रखी है और श्रद्धालुओं इसके दर्शन करते पहुंचते हैं। उस समय चन्दौसी निवासी व्यापारी राजीव वार्ष्णेय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से निरंतर पत्र व्यवहार किया। इसके बाद 2011 में एएसआई आगरा से सहायक पुरातत्वविद आरके सिंह चन्दौसी आए और बेरनी पहुंचे। वहां उन्होंने प्रतिमा मिलने वाले टीले व प्रतिमा का निरीक्षण किया।

उन्होंने बताया कि प्रतिमा 800 से 1000 वर्ष पुरानी है तथा भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक वामन अवतार के अलंकृत रूप में है। ऐसी प्रतिमाएं दक्षिण भारत में भी मिली है, फर्क सिर्फ बनाने में उपयोग किए गए पत्थर का है। मंदिर की पुरानी ईंटों को देखकर कहा कि बेरनी का इतिहास पांचवीं शताब्दी तक पुराना हो सकता है। व्यापारी राजीव वार्ष्णेय ने बताया कि गांव बेरनी पुरातत्व विभाग, जनप्रतिनिधियों व सरकार की ओर से पूर्णतया उपेक्षित है। यदि यहां के टीलों की पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों की उपस्थिति में खुदाई कराई जाए, तो अनेक महत्वपूर्ण वस्तुओं के मिलने की संभावना है। 

उपेक्षा का शिकार हो रहा बेरनी का मेला
महाशिवरात्रि पर प्रतिवर्ष मंदिर परिसर में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर में जलाभिषेक करने वाले कांवडिए व शिव भक्तों का सुबह से शाम तक तांता लगा रहता है। जिसमें श्रद्धालुओं को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। मगर उपेक्षा के चलते भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उचित प्रबंध नहीं किए जाते हैं। 

मंदिर में स्थापित शिवलिंग की नहीं कोई थाह
बेरनी शिव मंदिर की शिवलिंग की 150 फीट गहराई तक खुदाई होने के बाद भी अंतिम छोर नहीं मिला था। इसके बाद खुदाई का कार्य बंद कर दिया। इसके बाद भगवान शंकर के प्रति ग्रामीणों की श्रद्धा और बढ़ गई। प्रत्येक सोमवार को भी आसपास गांव सहित शहरों से लोग जलाभिषेक करने पहंचते हैं। मंदिर पर मांगी मुराद अवश्य पूरी होती है, ऐसा ग्रामीणों का विश्वास है।

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