लोकसभा चुनाव 2024: ‘साइकिल‘ को ‘पंजे‘ का सहारा, हैट्रिक को बेताब ‘कमल’, जानिए सुलतानपुर सीट का इतिहास

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Published By Deepak Mishra
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इंडिया गठबंधन के सहारे सपा को पहली बार वैतरणी पार करने की उम्मीद, पहली लिस्ट में मेनका गांधी का नाम नहीं होने से जिले में चर्चाओं का बाजार गर्म

मनोज कुमार मिश्र/ सुलतानपुर, अमृत विचार। दिल्ली की कुर्सी के लिए सुलतानपुर लोकसभा सीट पर सियासी पैंतरेबाजी शुरू हो गई है। इस सीट पर अब तक एक अदद जीत के लिए तरस रही समाजवादी पार्टी को ‘पंजे‘ के जरिये चुनावी वैतरणी पार होने की उम्मीद है। वहीं, भाजपा हैट्रिक लगाने को बेताब दिख रही है। हालांकि, दोनों पार्टियों की ओर से अभी तक कंडीडेट घोषित नहीं होने से संभावित उम्मीदवारों की धुकधुकी बढ़ी है। सांसद मेनका संजय गांधी का भाजपा की घोषित पहली लिस्ट में नाम नहीं होने से राजनीतिक गलियारों में कयासों का दौर तेज है।

अभी प्रत्याशियों की घोषणा भले न हुई हो लेकिन पार्टियां लोकसभा चुनाव 2024 का ताना बाना बुनने में जुट गई हैं। सबसे मजबूत माने जाने वाले भाजपा व उसके अनुषांगिक संगठनों ने चुनावी तैयारियों में ताकत झोंक दी है। पार्टी के नेता व कार्यकर्ता सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए घर-घर पहुंच रहे हैं। वहीं, समाजवादी पार्टी की ओर से पीडीए पखवाड़ा की साइकिल यात्रा निकालकर अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाई जा रही हैं।

गठबंधन के कारण सुलतानपुर की सीट सपा के खाते में चले जाने के कारण कांग्रेस का उम्मीदवार यहां तो नहीं होगा, लेकिन पार्टी ने अमेठी के मुन्ना सिंह त्रिसुंडी को समन्वयक बनाकर भेजा हैं। जो अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रणनीति बना रहे हैं और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में वोट कराने का दावा कर रहे हैं। इस बार बसपा ने पहले से ही किसी तरह के गठबंधन से किनारा कर रखा है। जाहिर तौर पर उसका भी प्रत्याशी मैदान में होगा। इस सीट पर अभी तक किसी भी दल ने प्रत्याशी को लेकर पत्ते नहीं खोले हैं। ऐसे में प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के चयन के बाद ही तस्वीर कुछ साफ होगी।

लोकसभा सीट का इतिहास

सुलतानपुर लोकसभा सीट के इतिहास पर नजर डाले तो वर्ष 1952 में काजिम अली एडवोकेट पहली बार कांग्रेस सांसद चुने गए। 1957 में गोविंद मालवीय, इनकी मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार बाबू गनपत सहाय सांसद बने थे। वर्ष 1962 में कांग्रेस से उनके पुत्र कुंवर कृष्ण वर्मा सांसद बने। 1967 में बाबू गनपत सहाय ने जीत हासिल की थी। उनकी मृत्यु के पश्चात हुए 1969 में हुए उपचुनाव में चौधरी चरण सिंह की बीकेडी से पं. श्रीपति मिश्र सांसद बने, उन्होंने महज 249 वोटों से कांग्रेस के डा. कैलाश नाथ सिंह को हराया था।

यह सुलतानपुर सीट के इतिहास का सबसे नजदीकी मुकाबला रहा है। 1970 में कांग्रेस से केदारनाथ सिंह, 1977 से जनता पार्टी के जुल्फिकार उल्ला, 1980 में कांग्रेस के गिरिराज सिंह, 1984 में कांग्रेस से राजकरन नाथ सिंह, 1989 में जनता दल से राम सिंह, 1991 में बीजेपी का खाता इस सीट पर खुला और अयोध्या के महंत विश्वनाथ दास शास्त्री सांसद बने। 1996 व 1998 में बीजेपी के डीबी राय, 1999 बसपा के जयभद्र सिंह, 2004 में बसपा के मो. ताहिर खान, 2009 में कांग्रेस से डा. संजय सिंह यहां के सांसद बने। 2014 में भाजपा के वरुण गांधी और 2019 में भाजपा से वरुण गांधी की मां मेनका संजय गांधी सांसद चुनी गई।

2019 में ऐसा था परिणाम

2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी चार लाख 58 हजार 281 मत पाकर विजयी हुई थीं। सपा-बसपा गठबंधन से चुनाव लड़ने वाले चंद्रभद्र सिंह सोनू को चार लाख 44 हजार 422 वोट मिले थे, जबकि पूर्व मंत्री व कांग्रेस प्रत्याशी अमीता सिंह को महज 41 हजार 588 मतों से संतोष करना पड़ा था। इस बार अभी प्रत्याशी की घोषणा नहीं हुई है। पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि हाईकमान जिसे भी टिकट देगा, उसी के लिए पूरे तन-मन से लगेंगे।

पांच विस में चार पर भाजपा, एक पर सपा का कब्जा

सुलतानपुर जिले की कुल पांच विधानसभा सीटों में वर्तमान में चार पर भाजपा और एक पर सपा का कब्जा है। सुलतानपुर सीट से भाजपा के विनोद सिंह, लंभुआ सीट से भाजपा के सीताराम वर्मा, जयसिंहपुर सदर सीट से भाजपा के राज बाबू उपाध्याय, कादीपुर सुरक्षित सीट से भाजपा के राजेश गौतम और इसौली सीट से सपा के मोहम्मद ताहिर खान विधायक हैं।

18,34,355 मतदाता चुनेंगे अपना सांसद

जिले की पांचों विधानसभाओं में मिलाकर कुल 18,34,355 मतदाता है। इनमें 9,54,358 पुरुष तो 8,79,932 महिला वोटर शामिल हैं। 65 ट्रांसजेंडर मतदाता है। इनमें युवा मतदाता ही निर्णायक होंगे। 18 से 19 साल के 22,819 तो 20 से 39 साल के 8,28,479 वोटर्स है। इस वर्ग के ज्यादातर मतदाता बूथ तक पहुंचते है और निर्णायक बनते हैं।


कब कौन बना सांसद

सन              विजयी प्रत्याशी                    पार्टी
1952            काजिम अली                        कांग्रेस
1957            गोविंद मालवीय                     कांग्रेस
1961           गनपत सहाय (उप चुनाव)        निर्दलीय
1962           कुंवर कृष्ण वर्मा                      कांग्रेस
1967          गनपत सहाय                         निर्दलीय
1969          श्रीपति मिश्र (उप चुनाव)          बीकेडी
1971           केदारनाथ सिंह                     कांग्रेस
1977        जुल्फिकार उल्ला                     जनता पार्टी
1980           गिरिराज सिंह                       कांग्रेस
1984           राज करन सिंह                     कांग्रेस
1989            रामसिंह                            जनता दल
1991           विश्वनाथ दास शास्त्री              भाजपा
1996             देवेंद्र बहादुर राय                भाजपा
1998           देवेन्द्र बहादुर राय                भाजपा
1999            जयभद्र सिंह                       बसपा
2004            मो. ताहिर खान                   बसपा
2009             संजय सिंह                       कांग्रेस
2014          वरुण गांधी                          भाजपा
2019         मेनका संजय गांधी                   भाजपा

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