कासगंज: साधारण नहीं है ये फूल, रंग बनाने के साथ औषधीय गुणों से भरपूर...जानिए टेसू का पौराणिक महत्व

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Published By Vikas Babu
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दीपक मिश्र, मोहनपुरा: बदलती जीवन शैली और भागम भाग भरी दिनचर्या के कारण लोग प्राकृतिक संसाधनों से हटकर कृत्रिम और मानव निर्मित संसाधनों पर निर्भर हो चले हैं। प्रकृति ने हमें पेड़ पौधों और वनस्पतियों के माध्यम से तरह तरह के रंगों को भेंट किया है। जिनका उपयोग हमारे पूर्वज भली भांति किया करते थे। ऐसा ही एक अनोखा रंग हमें टेसू के फूलों से मिलता है, जो आज पश्चिमी चमक और तरह तरह के रसायनों से युक्त रंगों के सामने अपना अस्तित्व खो चुका है।

शिक्षाविद् सत्य प्रकाश मिश्र से. नि. प्रधानाचार्य ने बताया कि टेसू का फूल वास्तव में प्रकृति द्वारा नवाजा गया एक नायब तोहफा है, जिसका उल्लेख वेदों में भी मिलता है। यह एक अनोखा नारंगी रंग देने के साथ साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर है। प्राचीन समय में इसी से होली खेलने के लिए रंग का निर्माण किया जाता था। एक समय था जब होली के रंगों की शान सिर्फ टेसू के फूलों से होती थी। 

होली में फाग और टेसू के फूल प्रसिद्ध हुआ करते थे। बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही टेसू के पौधे पर कलियां आना प्रारंभ हो जाती हैं। फाल्गुन आते ही लोग टेसू के फूलों को एकत्रित करना प्रारंभ कर देते थे। टेसू के फूलों से रंग और फलियों से अबीर बनाकर प्राकृतिक रंगों से होली खेला करते थे। ये प्राकृतिक रंग त्वचा पर निखार लाते हैं जबकि आजकल केमिकल युक्त रंगों से त्वचा पर बुरा असर पड़ता है।

क्या है टेसू का फूल
टेसू का फूल उत्तर प्रदेश का राजकीय पुष्प है। इसको पलाश, केसु, ढाक, गेसु, ब्रह्मवृक्ष, परसा, किशक, सुपका और फ्लेम ऑफ फॉरेस्ट आदि कई नामों से भी जाना जाता है। यह केसरिया लाल रंग का होता है। इसके पुष्प देखने में बहुत सुंदर व आकर्षक लगते हैं। ये सुंदरता और सजावट ही नहीं वरन समृद्धि के लिए भी जाने जाते हैं।

ऐसे बनता है टेसू के फूलों से रंग
प्राचीन समय में फाल्गुन आते ही लोग टेसू के फूलों को इकट्ठा कर एक वर्तन में भिगो देते थे। एक दो दिन बाद लालिमा लिपटे इन फूलों को उबाल कर ठंडा करने के बाद इसमें चूना मिला दिया जाता था। उसके बाद उसमें सुंदर बसंती रंग उभरकर आ जाता था।

इसी रंग को लोग होली के त्यौहार पर एक दूसरे को लगाने के लिए प्रयोग करते थे। यह प्राकृतिक रंग शरीर के लिए उपयुक्त होता था जिसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता था। किंतु आधुनिकता की दौड़ में रसायन युक्त रंगों के चलन से ये अपना अस्तित्व खो चुका है।

वास्तु शास्त्र में भी है बेहद महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार भी टेसू या पलाश के फूल का बेहद महत्व है। हिंदू धर्म में इस पेड़ को काफी पवित्र माना गया है। ये पुष्प धन और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी को बेहद प्रिय हैं। ऐसी मान्यता है जिस घर में ये फूल खिलते हैं वहां सदैव समृद्धि रहती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार इसे उत्तर दिशा में लगाना शुभ माना गया है।

औषधीय गुणों से भरपूर है टेसू का वृक्ष
आयुर्वेद चिकित्सक डॉ राघवेंद्र दुबे के अनुसार पलाश या टेसू के पेड़ का प्रत्येक भाग फूल, फली, टहनी, जड़ और पत्तियां सभी औषधीय गुणों से भरपूर हैं। आयुर्वेद में इनका विभिन्न रोगों की चिकित्सा हेतु उपयोग किया जाता है।

पलाश के फूलों को परम औषधि माना गया है। इसके पुष्पों को पानी में डालकर स्नान करने से गर्मी में लू नहीं लगती है। इसके अतिरिक्त शरीर के विभिन्न रोगों की चिकित्सा में इसका प्रयोग किया जाता है। सनातन धर्म में पौराणिक मान्यताओं के अनुसार टेसू काफी महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त पत्तियों का प्रयोग दौना पत्तल बनाने में किया जाता है।

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