Allahabad High Court: कॉर्पोरेट धोखाधड़ी वित्तीय संस्थानों के लिए एक बड़ा खतरा
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कॉरपोरेट धोखाधड़ी से संबंधित मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि कॉर्पोरेट धोखाधड़ी वित्तीय संस्थानों और सरकारी कामकाज के अखंडता के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा है। जब पुलिस कॉर्पोरेट धोखाधड़ी, पूंजी योजनाओं, सुरक्षा धोखाधड़ी, लेखांकन धोखाधड़ी, सरकारी धन के गबन सहित साइबर धोखाधड़ी जैसे मामलों में सफल जांच नहीं करती है तो इसका दुष्प्रभाव गहरा और बहुआयामी होता है।
ऐसे मामलों से निपटने के लिए सरकारे नियामक अधिकारियों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और निजी क्षेत्र से ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। कोर्ट ने आगे कहा कि प्रभावी पुलिस प्रशिक्षण जांच क्षमताओं को बढ़ाने और न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। राज्य सरकार को धोखाधड़ी, गबन और मनी लॉन्ड्रिंग सहित वित्तीय अपराधों की जटिलताओं को दूर करने के लिए व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रमों की व्यवस्था करनी चाहिए।
उक्त आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने बाबा बेटी की याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया और इस आदेश की प्रति रजिस्ट्रार (अनुपालन) को मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार, निदेशक सीबीआई नई दिल्ली, निर्देशक प्रवर्तन निदेशालय नई दिल्ली, अध्यक्ष सेबी मुंबई को आवश्यक अनुपालन के लिए भेजने का निर्देश दिया है। मामले के अनुसार याची एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता है।
जिसे एक अखबार के माध्यम से एसकेएस पावर जनरेशन लिमिटेड और उसकी होल्डिंग कंपनियों द्वारा कथित तौर पर की गई कॉर्पोरेट धोखाधड़ी के बारे में पता चला था। यह घटना 17 मार्च 2021 को सामने आई जब वह आरोपी अनिल गुप्ता से जुड़े कुछ लेनदेन के बारे में पूछताछ करने के लिए जौनपुर में भारतीय स्टेट बैंक गई।
कुछ ही समय बाद अज्ञात व्यक्ति जबरन उनके आवास में घुस आए और उन्हें धमकी देने लगे। इसके बाद पुलिस की वर्दी में भी कुछ लोग आए और उन पर शिकायत वापस लेने का दबाव डाला। याची ने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए वर्तमान याचिका दाखिल की है साथ ही एक संशोधित याचिका के माध्यम से याची ने गहन और निष्पक्ष जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई द्वारा जांच का अनुरोध किया है।
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