गोंडा: शिक्षक हो तो ऐसा!, परिसर में जगह नहीं थी तो स्कूल की छत पर बना दिया किचनशेड व किचन गार्डेन, बदल दी SCHOOL की सूरत

दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत शिक्षक ने बदल दी सरकारी स्कूल की तस्वीर 

गोंडा: शिक्षक हो तो ऐसा!, परिसर में जगह नहीं थी तो स्कूल की छत पर बना दिया किचनशेड व किचन गार्डेन, बदल दी SCHOOL की सूरत

कायाकल्प के 19 पैरामीटर को पार कर आधुनिक सुविधाओं से लैस हुआ इटियाथोक का भीखमपुरवा स्कूल

उमानाथ तिवारी, गोंडा, अमृत विचार। शिक्षक कभी साधारण नहीं होता। प्रलय और निर्माण उसकी गोद में पलते हैं। आचार्य चाणक्य के इस कथन को चरित्रार्थ कर दिखाया है इटियाथोक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय भीखमपुरवा के प्रधानाध्यापक मनोज मिश्र ने। मनोज ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बदौलत‌ स्कूल की तस्वीर बदल दी है। कायाकल्प के 19 पैरामीटर को मात देते हुए स्कूल को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है। स्कूल की छत पर बना किचन गार्डन और किचनशेड स्कूल निजी स्कूल की सुविधाओं को मात दे रहा है। स्कूल में विकसित किया गया किचनशेड‌ में भोजन करने का एहसास बच्चों के लिए किसी मंहगे रेस्टोरेंट से कम नहीं है। 

इटियाथोक कस्बे से करीब 10 किमी दूर बाबागंज मार्ग पर सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में बने इस स्कूल का परिवेश निजी स्कूल के जैसा है। भौतिक संसाधनों के मामले में विद्यालय कायाकल्प के 19 पैरामीटर को मात दे रहा है। स्कूल में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किचनशेड व किचन गार्डन विकसित किया गया है। परिसर में जगह न होने के कारण स्कूल की छत पर किचनशेड विकसित किया गया है।

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महंगे रेस्टोरेंट जैसा है स्कूल के किचेन शेड का लुक

प्राथमिक विद्यालय भीखमपुरवा स्कूल के किचेन शेड का लुक किसी रेस्टोरेंट जैसा लगता है। इस किचनशेड में बच्चों के बैठने के लिए बाकायदा कुर्सी मेज लगी है जहां बच्चे बैठकर भोजन करते हैं। किचनशेड की सुंदरता बच्चों को शहर के महंगे रेस्टोरेंट का एहसास दिलाती है। भोजन के अलावा इस किचनशेड में कॉमन क्लासेस भी चलाई जा सकती है। यहां डॉयस और माइक की भी पूरी व्यवस्था है‌ और बच्चों को नियमित बोलने का अभ्यास भी कराया जाता है।

छत पर बना स्कूल का किचेन गार्डन भी आकर्षण का केंद्र

सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र विद्यालय का किचन गार्डन है, जिसे स्कूल की छत पर विकसित किया गया है‌। प्रधानाध्यापक मनोज मिश्रा का दावा है कि यह प्रदेश का पहला स्कूल है जहां स्कूल की छत पर किचन गार्डन बनाया गया है। किचन गार्डन बनाने के लिए स्कूल की छत पर लोहे का फ्रेम तैयार कर प्लास्टिक मैट पर मिट्टी डालकर क्यारियां तैयार ती गयी हैं। छत पर अतिरिक्त भार न पड़े इसके लिए पूरा भार दीवारों पर दिया गया है। अत्यधिक धूप और बारिश से सब्जियों को बचाने के लिए ग्रीन हाउस भी बनाया गया है। 

स्कूल के दो शिक्षण कक्षों में चलती है स्मार्ट क्लास

विद्यालय के दो शिक्षण कक्ष स्मार्ट क्लास के रूप में विकसित किए गए हैं। इन कमरों में उम्दा दर्जे की वॉल पेंटिंग करायी गयी है। स्कूल में बड़ी एलईडी टीवी भी लगी है जिसके माध्यम से बच्चों को लाइव चीजों से सीधे रूबरू कराया जाता है। विद्यालय में स्थापित हैंड वॉश यूनिट व बाउंड्री वालों की मनमोहक शिक्षाप्रद पेंटिंग छात्र-छात्राओं के अंदर एक नवीन ऊर्जा का संचार कर रही है। इसके अतिरिक्त विद्यालय में स्थापित 50 फीट ऊंचे पोल पर लहराता तिरंगा क्षेत्र के युवाओं और बच्चों में देश प्रेम की भावना से ओत-प्रोत कर रहा है।  

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पढ़ाई में अव्वल है प्राथमिक विद्यालय भीखमपुरवा

इटियाथोक का प्राथमिक विद्यालय भीखमपुरवा पढ़ाई में भी अव्वल है। स्कूल की छात्रा अंशिका मिश्रा अपनी काबिलियत‌ के दम पर पूरे प्रदेश में गूगल गर्ल के नाम से चर्चित है। अंशिका मिश्रा 6 मिनट 26 सेकंड में देश के सभी जिलों का नाम सुना कर अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज करा चुकी है। अंशिका की तरह ही स्कूल की छात्रा सुप्रिया वर्मा भी योग में मयूरासन 4 मिनट 10 सेकंड करके दिल्ली नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल कर हर किसी को अचंभित कर चुकी है। इसी स्कूल में पढ़ने वाली काजल और बबली का नाम भी इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है। चार-चार बेटियों के नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराने का श्रेय स्कूल के  प्रधानाध्यापक मनोज मिश्र को है‌। 

डीएम भी कर चुकी हैं प्रधानाध्यापक के प्रयास की तारीफ 

हाल ही में जिले की कलेक्टर नेहा शर्मा ने इस स्कूल का विजिट किया था। स्कूल के भौतिक परिवेश को देखकर डीएम भी अचंभित रह गयी थी। डीएम ने स्कूल के भौतिक संसाधन, बाहरी परिवेश, क्लास रूम की सजावट  व बच्चों के बैठने की व्यवस्था देख प्रधानाध्यापक मनोज मिश्रा की तारीफ की थी और इस स्कूल से अन्य स्कूलों के शिक्षकों को प्रेरणा लेने की नसीहत भी दी थी। उन्होने किचनशेड व किचन गार्डेन देखने के बाद शिक्षक मनोज मिश्रा के इस नवाचार की भी खूब सराहना की है। 

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बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले इसके लिए स्कूल का भौतिक परिवेश बेहद महत्वपूर्ण होता है। सुदूर ग्रामीण अंचल में स्थित इस विद्यालय के बच्चे किसी भी क्षेत्र में शहर के बच्चों से पीछे न रहे इसके लिए सदैव प्रयासरत हूं और उनके मनोबल को बढ़ाने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं।

                                                                      मनोज मिश्रा, प्रधानाध्यापक, प्राथमिक विद्यालय भीखमपुरवा

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