उत्तर कुंजी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सतर्कता बरतना जरूरी: हाईकोर्ट

उत्तर कुंजी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सतर्कता बरतना जरूरी: हाईकोर्ट

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संशोधित उत्तर कुंजी को रद्द करने के एक मामले में कहा कि मुख्य उत्तरों की शुद्धता को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने में सतर्कता बरतना चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा कि उम्मीदवार पर न केवल यह प्रदर्शित करने का दायित्व है कि मुख्य उत्तर गलत है, बल्कि उसे यह भी सिद्ध करने की आवश्यकता है कि यह एक गंभीर गलती है जो पूरी तरह से स्पष्ट है और यह किसी अनुमान प्रक्रिया पर आधारित नहीं होना चाहिए।

कोर्ट ने एक अन्य मामले का हवाला देते हुए  कहा कि जिन मामलों में उत्तर कुंजी विवादित है, उनमें कानून की स्थापित स्थिति को ध्यान में रखते हुए इस धारणा पर आगे बढ़ना होगा कि उत्तर कुंजी सही है, क्योंकि यह विशेषज्ञ व्यक्तियों द्वारा दी गई विशेषज्ञों की राय पर आधारित है।

न्यायालय को उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन या जांच के आदेश नहीं देना चाहिए, क्योंकि उनके पास इस मामले में कोई विशेषज्ञता नहीं है। शैक्षणिक मामलों को शिक्षाविदों पर छोड़ देना बेहतर है, इस मामले में न्यायिक समीक्षा की कोई गुंजाइश नहीं है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की एकल पीठ ने मुकेश कुमार और अन्य की याचिका को खारिज करते हुए की।

दरअसल याचियों ने पीईटी-2021 पास किया था, इसलिए उनके स्कोर के आधार पर राजस्व लेखपाल पद के लिए मुख्य परीक्षा में बैठने के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था। 31 जुलाई 2022 को मुख्य परीक्षा आयोजित की गई थी और 1 अगस्त 2022 को उत्तर कुंजी प्रकाशित की गई, जिस पर विवाद उत्पन्न हुआ। उक्त परीक्षा उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, लखनऊ द्वारा आयोजित की गई थी।

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