बरेली: Cyberbullying के शिकार बच्चों की ऐसे करें पहचान, जानिए...लक्षण और उपाय

बरेली: Cyberbullying के शिकार बच्चों की ऐसे करें पहचान, जानिए...लक्षण और उपाय

बरेली, अमृत विचार। पेरेंट्स अपने बच्चों के करियर को अच्छा बनाने के लिए खुद भी जीजान से मेहनत करते हैं, ताकि एक दिन उनका बच्चा पढ़ लिख कर तरक्की करे। लेकिन एक दिन अचानक उन्हें पता चलता है कि उनका बच्चा क्लास में फेल हो गया। जबकि वह पढ़ाई में बहुत अच्छा हुआ करता था। ऐसी खबर से अभिभावक समझ नहीं पाते कि हुआ क्या है। 

कभी जो बच्चा शांत रहने वाला होता वह मारपीट भी करने लग जाता है और जो बच्चा दिन भर घर में खेलता कूदता था, वह एक दम शांत हो गया है। तो इन सबके पीछे की वजह साइबर बुलिंग भी हो सकती है। तो आइए जानते हैं आखिर साइबर बुलिंग क्या है और इसके लक्षणों को कैसे पहचानें।

साइबर बुलिंग 
जिला अस्पताल की मनोचिकित्सक काउंसलर डॉ. खुश अदा ने बताया कि साइबर बुलिंग यानी सोशल मीडिया के जरिए किसी व्यक्ति को धमकाना, बेज्जत करना, किसी तरह से पेरशान करना या फिर निशाना बनाना होता है। 

आसान भाषा में कहें तो ऑनलाइन माध्यमों जैसे सोशल मीडिया, चैटिंग एप्स और सोशल साइट्स के माध्यम से जानबूझकर किया गया वह व्यवहार है, जिससे किसी के सम्मान, अस्मिता को ठेस पहुंचती हो या उसे किसी तरह की सामाजिक या भावनात्मक क्षति होती हो, तो उसे साइबर बुलिंग कहा जाता है। आज कल लोग सोशल मीडिया के जरिए किसी की फोटो को किसी गलत फोटो में एडटिंग करके भी सोशल मीडिया में डालने की धमकी देते हैं। इसे साइबर बुलिंग कहा जाता है।

साइबर बुलिंग बच्चों के लिए खतरनाक
विशेषज्ञ के अनुसार अगर कोई बच्चा काफी लंबे समय से लगातार साइबर बुलिंग का शिकार हो रहा है तो ऐसे में वह तनाव और एंग्जाइटी का शिकार हो सकता है। जिसके चलते बच्चा बात-बात पर गुस्सा और मारपीट भी करने लग सकता है। साथ ही तनाव में वह खुद को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

साइबर बुलिंग के शिकार बच्चों की ऐसे करें पहचान
विशेषज्ञ के अनुसार जो बच्चे साइबर बुलिंग के शिकार होते हैं। वह अपने पेरेंट्स, टीचर्स और भाई बहनों से भी कुछ कहने से कतराते हैं, क्योंकि उन्हें डर होता है कि कोई उसे डांटे न और फोन न छीन ले। इसीलिए बच्चे किसी से अपनी कोई बात नहीं बताते हैं और अकेले ही सभी परेशानियों को झेलने लगते हैं। साथ ही सभी से बात करने से बचते हैं। इस स्थिति में बच्चा मानसिक रूप से बीमार पड़ सकता है या फिर कोई गलत कदम भी उठा सकता है। ऐसे में इन तरीकों से पहचान कर सकते हैं कि कहीं बच्चा साइबर बुलिंग का शिकार तो नहीं है। 

- परिवार के लोगों और सभी दोस्तों से दूरी बनाना।
- किसी खुशी में शामिल न होना और अपने में खोए रहना।
- पढ़ाई में मन नहीं लगना और पढ़ाई में अच्छा होने के बाद भी अच्छे अंक न लाना।
- फोन या इंटरनेट का इस्तेमाल करते समय परेशान हो जाना।
- अचानक फोन पर कोई मैसेज या नोटिफिकेशन के आने पर डरना।
 
साइबर बुलिंग शिकार बच्चों के साथ करें ऐसा व्यवहार
अगर कोई बच्चा साइबर बुलिंग का शिकार हुआ है तो पेरेंट्स को बच्चे को डराना या धमकाना नहीं चाहिए। बल्कि उसका साथ देना चाहिए और सहानुभूति के साथ उसके पक्ष को सुनना चाहिए। साथ ही बच्चे को ये यकीन दिलाएं की इसमें उसकी किसी तरह की कोई गलती नहीं है।

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