हल्द्वानी: रागी बाबा...जिन्हें घोड़े पर उल्टी दिशा में मुंह करके बिठाया जाता था और चंदा इकट्ठा कर लड़ाया जाता था चुनाव

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Published By Bhupesh Kanaujia
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हल्द्वानी, अमृत विचार। कई बार चुनाव में हार व जीत के साथ कई यादें जुड़ जाती हैं। वरिष्ठ नागरिकों की ऐसी ही एक याद रागी बाबा से जुड़ी हुई है। वरिष्ठ नागरिक जनकल्याण समिति के अध्यक्ष भुवन भास्कर पांडे रागी बाबा के बारे में बताते हुए कहते हैं कि 70 के दशक में नैनीताल के लोग रागी बाबा नाम के एक सज्जन को लगभग हर चुनाव लड़वाते थे। लोग आपस में ही चुनाव के लिए चंदा करते इकट्ठा करते हैं।

उन्होंने बताया कि रागी बाबा का वास्तविक नाम पता नहीं, लेकिन वह दौलाघट, रानीखेत के रहने वाले थे। बताया कि विधानसभा व लोकसभा चुनाव के दौरान सभी उन्हें याद करने लग जाते थे। छोटी कदकाठी, ठेठ पहाड़ियों-सा नाक-नक्श, विविध रंगों का एक लंबा झगुला, सिर पर सफेद साफा और हाथ में एक लाठी जिस पर घुंघरू बंधे होते थे। अपनी छम-छम की आवाज करती लाठी से जमीन को ठोकते हुए वह हर किसी को आकर्षित करते थे।

वह बताते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान रागी बाबा को छोटे कद के घोड़े पर उल्टी दिशा की ओर बैठाया जाता, फिर शहर भर में घूमाया जाता, उनका जुलूस रानीबाग तक आता था। इसके बाद युवा नारे लगाते कि जीतेगा भई जीतेगा, रागी बाबा जीतेगा, बिना वोट के जीतेगा, रागी बाबा जिंदाबाद।

वह बताते हैं कि जब लोग उनसे कहते कि आप चुनाव जीतकर संसद में कुर्सी में बैठोगे तो वह कहते थे कि यदि उन्हें संसद तक भेजा गया तो वह सारी कुर्सियां हटवाकर संसद में दरी बिछावा देंगे, जब कुर्सी ही नहीं रहेगी तो झगड़ा किस बात पर होगा। 

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