Bareilly News: गुप्तकाल में भी था बालों में जूड़ा बनाकर गजरा लगाने का फैशन, नारी शीश की ये मूर्ति देख हो जाएगा यकीन

Bareilly News: गुप्तकाल में भी था बालों में जूड़ा बनाकर गजरा लगाने का फैशन, नारी शीश की ये मूर्ति देख हो जाएगा यकीन

प्रीति कोहली, अमृत विचार। आजकल हमारे समाज की महिलाएं घरों के अलावा वैवाहिक कार्यों समेत अन्य पार्टी-प्रोग्रामों में जाते समय बालों में जूड़ा बनाना बेहद पसंद करती हैं। महिलाएं अपने सजने-संवरने के लिए बालों में जूड़ा के साथ गजरा लगाकर अपनी सुंदरता को और निखारती हैं। 

ऐसे में अगर आपको यह लगता है कि यह फैशन अभी शुरू हुआ है, तो आप गलत हैं। बालों के जूड़े में गजरा लगाने का फैशन गुप्तकाल या उससे पहले से चला आ रहा है। इस बात के सबूत गुप्तकाल की नारी शीश की मूर्ति दे रही हैं। 

दरअसल, बरेली स्थित महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति विभाग के पांचाल संग्रहालय में टेराकोटा गैलरी नाम से एक वीथिका सुव्यवस्तिथि, जहां यह मूर्ति अवशेष बहुत ही अच्छे ढंग से सजाकर रखे गए हैं। इसको लेकर पांचाल संग्रहालय के रिसर्च एसोसिएट डॉ हेमंत मनीषी शुक्ला बताते हैं कि यह एक प्रस्तर गुप्तकालीन नारी शीश है। 

जिसमें दो मूर्तियों को साफ देखा जा सकता है, जिसमें अंलकृत केश विन्यासकारी शीश हैं। जो प्रस्तर का बना हुआ है। इन दोनों मूर्तियां को अगर ध्यान से देखेंगे तो आज जो हमारे घरों में महिलाएं जूड़ा बनाती है और एक केश विन्यास को फूलों से अलंकृत करती हैं। इन मूर्तियों में कहीं न कहीं बिल्कुल वैसा ही डेकोरेटेड हेयर स्टाइल नजर आता है। 

अगर इसको और भी ज्यादा ध्यान से देखा जाए तो जूड़े को चारों तरफ से एक फूल की माला, जिसे आज गजरा कहते हैं उससे लिपटा नजर आ रहा है। गुप्तकाल में जिन स्वर्ण अभूषण का प्रयोग किया जाता रहा होगा, केश विन्यास में वह भी कहीं न कहीं प्रदर्शित होता नजर आ रहा है। इन अद्भुत नारी शीश में गुप्तकाल की महिलाओं के सौंदर्य का बोध है या जो उनके अलंकृत अभूषण को प्रयोग करने का ढंग था। उसे परिलक्षित कर रहा होगा।

ये भी पढे़ं- Bareilly News: ईद को लेकर बाजार हुआ गुलजार, खरीदारी के लिए उमड़ रहे लोग