बरेली में महात्मा गांधी का चलाया चरखा मौजूद, 100 साल से भी ज्यादा है पुराना

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Published By Moazzam Beg
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प्रीति कोहली, अमृत विचार। आपने विभिन्न तस्वीरों और कहानियों में महात्मा गांधी को अक्सर चरखा से कपास कातते देखा और सुना होगा। इसके साथ ही कई बार खादी एवं ग्रामोद्योग केंद्रों या महात्मा गांधी से जुड़े स्थानों पर चरखा देखने को मिल जाते हैं। लेकिन आज हम आपको महात्मा गांधी के हाथों से चलाया गया 20वीं सदी का 100 साल से भी अधिक पुराना चरखा दिखाने वाले हैं। जिसे महत्मा गांधी ने स्वयं अहमदाबाद के एक आश्रम में चलाया था। 

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जिससे यहां कपास कातकर से सूत बनाने तक की प्रक्रिया समझने को मिलेगी। इसको लेकर पांचाल संग्रहालय के रिसर्च एसोसिएट डॉ. हेमंत मनीषी शुक्ला बताते हैं कि साल 2018-19 में तत्कालीन राज्यपाल राम नाइक ने इस गैलरी का उद्धाटन किया है। उस वक्त एक सरकारी शिक्षक राजकुमार ने अहमदाबाद से इस चरखे को लाकर तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर अनुज शुक्ला को संग्रहालय के लिए सौंपा था। जिन्होंने बताया कि यह चरखा महात्मा गांधी ने स्वयं चलाया था। 

रिसर्च एसोसिएट ने बताया कि संग्रहालय के शोकेस में अलग से इस चरखे को सेंटर पीस के रूप में डिस्प्ले किया गया है। इस विषय पर तत्कालीन कुलपति ने रात करीब साढ़े नौ बजे आकर रिसर्च एसोसिएट से कहा कि राज्यपाल राम नाईक गांधीवादी विचारक हैं, हो सकता है वह इस चरखा को चलाकर देंखे, जिसे ध्यान में रखते हुए उन्होंने रात में गांधी आश्रम खुलवाया और वहां से रूई लाकर इसमें लगाई। 

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डॉ हेमंत मनीषी शुक्ला बताते हैं कि उनका प्रयास है कि पांचाल संग्रहालय में पहुंचने वाले बच्चों समेत सभी दर्शक एक लाइव टेलीकास्ट में प्रैक्टिकल के रूप में देख सकें, कि चरखा कैसे घुमाया जाता है और इस तरह से रूई से बने धागे को किस तरह तार के रूप में खींचकर लपेटा जाता है। इसके साथ ही संग्रहालय का अवलोकन करने वाले यह समझ सकें कि 100 साल पहले रूई सूत कैसे काता जाता था। 

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