लखनऊ: बच्चों को डांटने के बजाय time out का सिद्धांत करें अप्लाई, मिलेंगे अच्छे परिणाम-मनोचिकित्सक ने खोले राज 

लखनऊ: बच्चों को डांटने के बजाय time out का सिद्धांत करें अप्लाई, मिलेंगे अच्छे परिणाम-मनोचिकित्सक ने खोले राज 

वीरेंद्र पांडेय/लखनऊ, अमृत विचार। हर माता-पिता को यह समझने की जरूरत है कि बच्चों में अनुशासन लाने के लिए सिर्फ पनिशमेंट ही जरूरी नहीं है। पनिशमेंट यानी की सजा देने से बच्चे अपने व्यवहार में बदलाव नहीं कर पाते। डांट की वजह से उत्पन्न हुए दुख और पीड़ा उनके अंदर नकारात्मक भाव पैदा कर देता है, जिससे उनका स्वास्थ्य तो खराब होता ही है, उनके पूरे करियर पर इस नकारात्मकता यानी कि नेगेटिविटी का प्रभाव पड़ जाता है। इस बात को लेकर दुनिया भर में रिसर्च भी हो रही है। बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए शुरुआत से ही टाइम आउट के सिद्धांत का पालन करना चाहिए। यह जानकारी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मनोचिकित्सक प्रोफेसर आदर्श त्रिपाठी ने अमृत विचार संवाददाता से बात करते हुए दी है।

डॉक्टर आदर्श त्रिपाठी ने बताया कि बच्चा जब कोई गलती करता है तो अक्सर माता-पिता उसे डांटते हैं, कई बार बच्चों की पिटाई भी करते हैं, लेकिन हर माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को सजा देकर आप उसे अनुशासित कतई नहीं कर सकते। सजा देने पर बच्चों के अंदर नकारात्मक विचार आते हैं, पीड़ा और दुख उत्पन्न होता है। जिससे वह सीखने की बजाय और भटक जाता है। दुखी बच्चे पूरा समय अपनी पीड़ा से निपटने में बिता देते हैं। जिससे वह कुछ सीख नहीं पाते। 

उन्होंने बताया कि ऐसे में जब बच्चा कोई गलती करें, तो उसे डांटने की बजाय टाइम आउट के सिद्धांत का पालन करना चाहिए। 

क्या है टाइम आउट सिद्धांत 
डॉ आदर्श बताते हैं कि टाइम आउट सिद्धांत वह नियम है जिससे बच्चा परेशान होने की बजाय अपनी गलतियों को जानता समझता और सीखता है।

बच्चा जब भी कोई गलती करें तो उसे ऐसी जगह पर बैठना चाहिए जहां पर मोबाइल वीडियो गेम खिलौने आदि कोई सामान ना हो। वह जगह एकदम शांत होनी चाहिए। इस दौरान इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यदि बच्चा 4 साल का है तो उसे 4 मिनट, 6 साल का है तो उसे 6 मिनट और यदि 8 साल का है तो उसे 8 मिनट उस स्थान पर बैठने के लिए कहना चाहिए। 

यानी जिस बच्चे की जितनी उम्र हो उसे उतने मिनट शांत स्थान पर बैठाना चाहिए। ऐसे में जब बच्चा एकांत जगह पर बैठता है,तो वह इस बात का ध्यान करता है कि वह क्या कर रहा था। उसके अंदर पैदा हुए नकारात्मक विचार समाप्त होते हैं और वह सोच पता है कि उसने क्या गलती की। 

टाइम आउट का समय समाप्त होने के बाद माता-पिता शांत शब्दों में बच्चों से बात करें और उन्हें बताएं कि उनका कार्य और व्यवहार किस तरह से गलत था और उससे क्या परेशानी हो सकती है। ऐसा करने से निश्चित तौर पर बेहतर परिणाम मिलेंगे यह नियम अपनाने से बच्चों के जीवन में अच्छे परिणाम मिलते हैं वह मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं और अपने जीवन में बेहतर कार्य कर पाते हैं।

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