पीलीभीत: स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल...वार्ड ब्यॉय संभाल रहा खमरिया पंडरी का अस्पताल, 40 हजार की आबादी हो रही प्रभावित

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Published By Moazzam Beg
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पीलीभीत/बरखेड़ा, अमृत विचार। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बेपटरी हालत को लेकर  इन दिनों मामला गरमाया हुआ है। मेडिकल कॉलेज का दर्जा मिलने के बाद भी जिला संयुक्त अस्पताल की तस्वीर नहीं बदल सकी। इसका शोर बीते दिनों सामने आई कुछ घटनाओं के बाद शासन स्तर तक पहुंच चुका है। वहीं, ग्रामीण अंचलों में सीएचसी-पीएचसी भी लंबे समय से बदहाल हैं। 

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खमरिया पंडरी की बात करें तो एक साल से अधिक समय से मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा। स्टाफ और संसाधनों की कमी के चलते मरीजों के कई किमी की दौड़ लगानी पड़ रही है, या फिर झोलाछाप से इलाज कराने को मजबूर हैं।  सामान्य मर्ज की दवा पाने के लिए भी परेशान होना पड़ता है।

बरखेड़ा ब्लॉक क्षेत्र में ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने और इलाज के लिए दौड़-भाग बचाने के उद्देश्य से खमरिया पंडरी गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया। इससे क्षेत्र के पंडरी, विक्रमपुर, खजुरिया, पृथ्वीपुर, कुरैइया, फूटाकुआं, मोहम्मदगंज रंपुरा, केशोरपुर आदि गांव की 40 हजार से अधिक आबादी इस अस्पताल से जुड़ी है। उनको शुरुआत में कई साल तक लाभ भी मिला। 

मगर करीब एक साल से अधिक समय से व्यवस्थाएं चरमराना शुरू हुई और वर्तमान में आलम ये है कि सिर्फ वार्ड ब्यॉय के सहोर अस्पताल संचालित किया जा रहा है।  इस अस्पताल में कार्यरत चिकित्सा अधिकारी डॉ.राम सिंगार वर्मा एक साल पहले त्यागपत्र देकर चले गए। इसके बाद से अस्पताल में कोई चिकित्सक तैनात ही नहीं हो सका। 

फार्मासिस्ट राजीव पांडेय का करीब चार माह पूर्व निधन हो गया था। उनके निधन के बाद ये पद भी रिक्त हो गया। इस पद पर भी किसी अन्य फार्मासिस्ट की तैनाती स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अब तक नहीं कर सके हैं। स्टाफ नर्स कोमल सोनी का एक साल पूर्व तबादला जनपद मुरादाबाद के लिए कर दिया गया था। फिर स्टाफ नर्स का पद भी रिक्त हो गया।  वर्तमान में अस्पताल और मरीजों की जिम्मेदारी वार्ड ब्यॉय बलराज सिंह पर है।

पुराने 12 मरीजों को मिल पा रही दवा
इस अस्पताल में मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेला आयोजित किया जाता है। जिसमें कभी डॉक्टर भेज दिए जाते हैं, कभी कभार वह भी नहीं पहुंचते। 50 के आसपास मरीजों की संख्या रहती है। उन्हें दवा मुहैया करा दी जाती है। मगर अन्य दिनों में सिर्फ वार्ड ब्यॉय की तैनाती होने के कारण नए मरीजों को वह नहीं देखते। करीब 10-12 पुराने मरीजों को उनके पर्चे के आधार पर दवा दे दी जाती है। इसके अलावा प्रसव के लिए पहुंचने वाली महिलाओं को बरखेड़ा सीएचसी या फिर जिला महिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है।

प्रतिदिन सफाई होना भी मुश्किल
इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की साफ सफाई व्यवस्था भी ढर्रे पर नहीं आ सकी है। वैसे तो यहां पर एक सफाई कर्मचार की तैनाती है। मगर उसे आए दिन बरखेड़ा सीएचसी में बुला लिया जाता है।  जिसकी वजह से प्रतिदिन अस्पताल की सफाई भी नहीं हो पाती है। ऐसे में परिसर में गदंगी जमा है। झाड़ियां भी उग आई है। देखेरख के अभाव में पीएचसी और आवासीय भवन जर्जर होने लगे हैं। अस्पताल की बाउंड्री बॉल एक साल पहले गिर गई थी, जोकि आज तक नहीं बन सकी है। इस वजह से छुट्टा पशुओं का जमावड़ा रहता है।

तीन साल से नहीं हो रही पानी की सप्लाई
पीएचसी के परिसर में ही पानी की सप्लाई के लिए ओवरहेड टैंक बना हुआ है। मगर पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है। बताते हैं कि तीन साल पहले पाइप लाइन लीकेज हो गई थी। इसके बाद  उसका सुधार कराने की सुधि भी जिम्मेदारों की ओर से नहीं ली गई है।  

छह बेड का अस्पताल, अधिकांश में चादरें नहीं
खमरिया पंडरी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में छह बैड हैं। इसकी व्यवस्था भी बद से बदतर बनी हुई है। अधिकांश बेड पर न किसी में गद्दे नहीं बिछे हैं, वहीं किसी में चादर ही नहीं है। धूल जमी रहती है। एएनएम पूजा कौशल की तैनाती है। बताते हैं कि वह भी सप्ताह में निर्धारित दिनों में पहुंचती है और टीकाकरण करके चली जाती हैं।

खमरिया पंडरी अस्पताल में स्टाफ की दक्कत है। इसके लिए लगातार उच्चाधिकारियों से पत्राचार किया जा रहा है।  मरीजों को कोई दिक्कत न हो, इसके लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। सीएचसी पर लाकर मरीजों को इलाज मुहैया कराया जाता है।- डॉ.लोकेश गंगवार, सीएचसी अधीक्षक बरखेड़ा

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