पीलीभीत: PTR में कुनबा बढ़ा तो बेघर होकर आक्रामक होने लगे तेंदुए, 14 दिन में सात हमले...संख्या 100 के पार
पीलीभीत, अमृत विचार। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल में न केवल बाघ बल्कि तेंदुओं की संख्या में भी खासी बढ़ोतरी हो रही है। पीटीआर के लिहाज से यह एक शुभ संकेत है, मगर जंगल के भीतर वर्चस्व की जंग हार रहे तेंदुए बेघर होने के बाद तेजी से रिहायशी इलाकों की ओर रुख कर रहे हैं।
पिछले कुछ महीनों से जहां बाघों की दस्तक दिखाई दे रही थी, वहीं अब सिर्फ तेंदुओं की चहलकदमी देखी जा रही है। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में भी इजाफा हो रहा है। जंगल से बाहर घूम रहे इन तेंदुओं को लेकर ग्रामीण इलाकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है, वहीं जिम्मेदार जंगल के नियम-कानून की सख्ती के आगे मात्र निगरानी तक ही सीमित है।
जनपद के जंगल को जून 2014 में टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया गया। जंगल के संरक्षित होने के साथ ही जंगल में इंसानों की दखलंदाजी पर पूरी तरह रोक लगा दी गई। बाघ, तेंदुए समेत अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा। जंगल क्षेत्र में ग्रास लैंड के साथ जलाशयों को भी विकसित किया गया।
हालांकि जंगल और इसके आसपास इलाकों में पूर्व से ही नदी-नहरों का जाल पहले से ही बिछा हुआ है। बेहतर जलवायु एवं जैवविविधता के चलते बाघ, तेंदुओं समेत अन्य वन्यजीवों की संख्या लगातार बढ़ने लगी। बाघों की तेजी से बढ़ती संख्या के साथ तेंदुओं की भी संख्या में खासी बढ़ोत्तरी देखी गई। टाइगर रिजर्व के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो वर्ष 2019 में पीलीभीत के जंगलों में मात्र 36 तेंदुए थे।
इसके बाद 2022 में आई रिपोर्ट में संख्या बढ़कर 101 पहुंच गई है। अब राष्ट्रीय स्तर पर भी देशभर में तेंदुए के कुनबे बढ़ने के संकेत मिले हैं। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के अफसर भी इस बात को स्वीकार चुके हैं।
बाघों के बाद अब तेंदुओं के बाहर निकलने का शुरू हुआ सिलसिला
पीटीआर में जिस तेजी के साथ बाघों की संख्या बढ़ी, साथ ही तेंदुओं की आबादी में खासी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। पिछले कुछ सालों से बाघों के जंगल के बाहर निकलने का सिलसिला चला आ रहा था, मगर पिछले एक-डेढ़ माह से तेंदुओं ने भी तेजी से रिहायशी इलाकों की ओर दस्तक देना शुरू कर दिया गया है।
वहीं पिछले पखवाड़ा भर की बात करें तो जंगल से सटे रिहायशी इलाकों में तो अब सिर्फ तेंदुओं की ही चहलकदमी देखी जा रही है। वर्तमान में तेंदुए महोफ, बराही, माला रेंज से सटे आबादी के इलाकों में देखे जा रहे हैं। आबादी क्षेत्र में तेंदुओं की घुसपैठ के चलते ही मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही है। वहीं आबादी क्षेत्रों में घूम रहे तेंदुओं की जान को भी खतरा बढ़ता जा रहा है।
शहर से इलाके में पल रहा तेंदुए का कुनबा
शहर से सटे पुरानी पीलीभीत (कोहना) गांव के एक बंद पड़े ईंट-भट्ठे के आसपास एक तेंदुआ अपने पूरे कुनबे से साथ रह रहा है। तेंदुए का कुनबा यहां के आबादी क्षेत्र में पिछले करीब दो माह से देखा जा रहा है। बताते हैं कि तेंदुआ बंद पड़े ईट-भट्ठे में शरण लिए हुए है। इससे संबंधित फोटो और वीडियो भी अकसर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। पिछले माह जिला मुख्यालय पर हुए प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के दौरान तेंदुए को लेकर खासी सतर्कता बरती गई थी। फिलहाल जिम्मेदार महकमा इस मामले में सिर्फ निगरानी से ही काम चल रहा है।
14 दिन में सात तेंदुआ हमले, एक तेंदुआ हुआ रेस्क्यू
जंगल से बाहर आबादी इलाकों में घूम रहे तेंदुए आक्रामक होते नजर आ रहे है। जिल में पिछले माह की 28 तारीख से तेंदुओं के हमले की घटना के बाद से सिलसिला लगातार जारी है। बीते 14 दिन की बात करें तो इस अवधि में आबादी में घुसे एक तेंदुए को रेस्क्यू किया गया, जबकि अलग-अलग क्षेत्रों में हुए तेंदुए के हमलों में करीब सात लोग घायल हो चुके हैं। गनीमत यह है कि इन सभी घटनाओं में किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई।
बाघों व तेंदुओं की पैदायशी शत्रुता
वन्यजीव विशेषज्ञ एवं डब्ल्यूटीआई के पूर्व प्रोजेक्ट हेड पीसी पांडेय के मुताबिक बाघ और तेंदुए के बीच पैदायशी शत्रुता होती है। बाघ के भय से ही तेंदुए सदैव जंगल और गांव के बीच में रहना पंसद करते हैं। जहां बाघ की संख्या अच्छी है और तेंदुए की भी मौजूदगी है, वहां अक्सर ऐसा देखा जाता है। दूसरा तेंदुओं को गांव के आसपास आसान शिकार मिल जाता है। इस समय की बात करें तो इस समय खेत साफ हो गए है, ऐसे में उन्हें छिपने के लिए पर्याप्त जगह का भी अभाव है। इसलिए उनकी साइटिंग भी ज्यादा होती है। शेष शोध का विषय है।
अब तक यह हुए तेंदुए के हमले
- 28 अप्रैल- पुरानी पीलीभीत में रामऔतार पर हमला
- 01 मई- जान कल्लिया गांव में तीन ग्रामीणों पर हमला
- 10 मई- हरीपुर रेंज से सटे ढक्काचांट में किसान पर हमला
- 10 मई- गजरौला क्षेत्र के मूढ़ा सेमनगर में किसान पर हमला
- 11 मई- बराही रेंज से सटे इलाके में पताबोझी निवासी ग्रामीण पर हमला
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों के साथ तेंदुओं एवं वन्यजीवों की संख्या में खासी बढ़ोत्तरी हो रही है। जंगल से सटा इलाका होने के कारण वन्यजीव आसपास क्षेत्रों में आ रहे हैं। पिछले दिनों एक तेंदुए को रेस्क्यू किया जा चुका है। जंगल से बाहर घूम रहे तेंदुओं की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। - विजय सिंह, फील्ड डायरेक्टर, पीटीआर
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