कानपुर सेंट्रल का हाल: टूटी कुर्सियां, सूखे वाटर कूलर, प्लेटफार्मों पर खुलेआम बिक रहा पान-मसाला, यात्री बेहाल

आठ और नौ नंबर प्लेटफार्म पर लगता अवैध वैंडरों का जमघट

कानपुर सेंट्रल का हाल: टूटी कुर्सियां, सूखे वाटर कूलर, प्लेटफार्मों पर खुलेआम बिक रहा पान-मसाला, यात्री बेहाल

कानपुर, अमृत विचार। गया, बिहार और दिल्ली रूट की ट्रेनों में जनरल कोच में बैठने की जगह नहीं है। लोग इस भीषण गर्मी में खड़े-खड़े सफर करने को मजबूर हैं। यात्रियों की परेशानी यहीं खत्म नहीं होती। सेंट्रल स्टेशन के प्लेटफार्मों पर कुर्सियां टूटी हैं। वाटर कूलर सूखे पड़े हैं और उनके आसपास कबाड़ जमा है। स्टेशन परिसर में खुलेआम पान-मसाला बेचा जा रहा है। 

प्लेटफार्म नौ और आठ पर अवैध वेंडरों का जमघट लगता है, जो ट्रेन आते ही खिड़की-दरवाजे घेर लेते हैं। प्लेटफार्म पर स्टाल लगाने वाले लोगों का कहना है कि किनारे का प्लेटफार्म होने के कारण बाहरी दुकानों पर काम करने वाले लड़के भी ट्रेन देखकर सामान बेचने आ जाते हैं। किसी अधिकारी को आते देखते हैं तो भाग खड़े होते हैं। फल-कोल्डड्रिंक और पानी के साथ पान-मसाला भी बेचते हैं।

सीन-1   
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खुलेआम बिकता पान-मसाला 

स्टेशन परिसर में खान-पान की सामग्री छोड़कर पान-मसाला बिक्री पर सख्त पाबंदी है। इसके बावजूद अवैध वेंडर खुलेआम प्लेटफार्मों पर घूम-घूमकर बेच रहे हैं। शनिवार दोपहर प्लेटफार्म नौ पर एक युवक झोले में पान-मसाला भरकर पहुंचा और हाथ में लटकाकर बेचने लगा। गोरखपुर-साबरमती एक्सप्रेस में बेचने के बाद दूसरी ट्रेनों की तरफ रुख किया। प्लेट एक के आउटर पर एक किशोर पान-मसाला बेचते दिखी। पूछने पर भाग निकला। 

सीन-दो 

टूटी कुर्सियां सेंट्रल में (1)

वाटर कूलर खुद प्यासे

यात्रियों को शुद्ध और शीतल जल के लिए प्लेटफार्म नौ पर लगाया गया वाटर इस भीषण गर्मी में सूखा पड़ा है। टोटियों पर गंदगी जमा है। वाटर की आसपास कबाड़ जमा कर दिया गया है। वाटर कूलर को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस सीजन में यह चालू नहीं हुआ है। वहीं गर्मी से बेहाल यात्री प्लेटफार्म पर ठंडे पानी के लिए बोतल लेकर भटकते रहते हैं। टोटियों से गर्म पानी आता है। मजबूरी में यात्रियों को प्यास बुझाने के लिए पानी की बोतले खरीदनी पड़ती हैं। 

सीन-तीन 
टूटी कुर्सियां सेंट्रल में

कुर्सियों पर बैठने से लगता डर  

प्लेटफार्म पर आठ पर यात्रियों के बैठने के लिए सीटिंग चेयर पड़ी हैं। कुछ सीटिंग चेयर सीमेंट की हैं तो कुछ लोहे की। सीमेंट वाली चेयर के पट्टे हिल रहे हैं। वहीं लोहे की कई सीटिंग चेयर प्लेटफार्म पर टूटी पड़ीं हैं। प्लेटफार्मों पर ट्रेनें के आने का समय जब होता है तो लोग खड़े-खड़े ट्रेन का इंतजार करते हैं। बैठने की जगह नहीं होती है। यात्रियों ने बताया कि कई चेयर हिलती हैं, जिससे गिर भी सकते हैं। इसलिए लोग बैठने के बाद उठकर खड़े हो जाते हैं।  

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आखिर लगने लगे पंखे

इधर गर्मी बढ़ने पर प्लेटफार्मों पर लगे पंखे एक-एक करके बंद होने लगे थे। कई पंखों से हवा गायब थी, सिर्फ घूम रहे थे। प्लेटफार्म आठ-नौ पर तो इक्का-दुक्का पंखे ही नजर आते हैं, लेकिन अब यात्रियों को राहत मिलेगी। शनिवार से प्लेटफार्मों पर नए पंखे लगाने का काम शुरू हो गया है। प्लेटफार्म एक पर पंखे लगा रहे मिस्त्री छोटे ने बताया कि उन्हें करीब 80 पंखे लगाने के लिए मिले हैं। एक नंबर प्लेटफार्म पर पंखे लगाने का काम पूरा होने के बाद दूसरे प्लेटफार्म पर लगाया जाएगा। जल्द ही सभी प्लेटफार्मों पर पंखे फुल स्पीड से चलेंगे। यात्रियों को राहत मिलेगी।

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