Exclusive: उर्सला में अब उपचार के साथ रोगों पर होगी रिसर्च, डिपार्टमेंट ऑफ ह्यूमन हेल्थ रिसर्च से मिली अनुमति

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Published By Deepak Shukla
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उर्सला प्रशासन ने गठित की 10 सदस्यीय एथिक्स कमेटी

कानपुर, विकास कुमार। उर्सला अस्पताल में बीमारियों के उपचार के साथ रोगों पर रिसर्च का जाएगी, इस काम के लिए डिपार्टमेंट ऑफ ह्यूमन हेल्थ रिसर्च सेंटर दिल्ली से अनुमति मिल गई है। अस्पताल में 10 सदस्यीय एथिक्स कमेटी का  गठन किया गया है, जो शोध कार्य व केस स्टडी आदि के जरिए जटिल और नई बीमारियों का इलाज खोजेगी।  

अभी जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में ही बीमारियों पर शोध कार्य होता है। इसके चलते  हैलट अस्पताल में 17 जिलों से इलाज के लिए  आने वाले लोगों को बड़ी सहूलियत मिलती है। चिकित्सकों के लिए कई प्रकार की जटिल बीमारियों का इलाज करना आसान हो जाता है।  अब उर्सला अस्पताल में भी गंभीर बीमारियों, मेडिसिन, पैरामीटर व जांच आदि पर शोध कार्य किए जाएंगे। 

डिपार्टमेंट ऑफ ह्यूमन हेल्थ रिसर्च सेंटर दिल्ली से इस संबंध में अनुमति मिलने के बाद उर्सला प्रशासन ने 10 सदस्यीय एथिक्स कमेटी का गठन किया है, जिसके अध्यक्ष डॉ.प्रवीन कटियार व सचिव मुन्नालाल विश्वकर्मा बनाए गए हैं। इनके अलावा कमेटी में डॉ.जीएन द्विवेदी, डॉ.रश्मि शर्मा, डॉ.राम किशोर, डॉ.सत्य प्रकाश, फार्मोलॉजिस्ट डॉ.अमित, डॉ.एसके निगम और क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट एसपी मिश्रा व दीपक शुक्ला शामिल हैं। 

चार साल पहले शुरू हुआ था डीएनबी कोर्स 

एथिक्स कमेटी के नोडल व सचिव डॉ.मुन्नालाल ने बताया कि उर्सला अस्पताल में पहले डीएनबी कोर्स की सुविधा नहीं थी। वर्ष 2020 से यहां डीएनबी कोर्स की शुरुआत की गई है। इसी के बाद वर्ष 2023 में अस्पताल में शोध कार्य शुरू करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ ह्यूमन हेल्थ रिसर्च सेंटर दिल्ली में आवेदन किया गया था। अब शोध कार्य की अनुमति मिल गई है। वर्तमान में यहां पर डीएनबी कोर्स में 33 छात्र-छात्राएं हैं। 

शोध से प्रदेश व देश के लोगों को भी होगा लाभ 

उर्सला के निदेशक डॉ.एचडी अग्रवाल ने बताया कि 12वीं के बाद छात्र एमबीबीएस में आते हैं। ऐसे में उन्हें लगातार पढ़ाई करनी पड़ती है। शोध और अनुसंधान पर काम करने का मौका नहीं मिल पाता है। अब उन्हें उर्सला अस्पताल में शोध की बारीकियों से अवगत कराया जाएगा। बीमारी पर किए जाने वाले शोध को पेटेंट भी कराने का भी प्रयास किया जाएगा। ताकि उर्सला में किए गए शोध से पूरे प्रदेश व देश के लोगों को उस विधि से इलाज मिल सके।

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