Bareilly News: मांगते-मांगते थक गए...सांसदों और विधायकों ने मुख्यमंत्री पर्यटन के नाम पर नहीं दिया एक पैसा

Bareilly News: मांगते-मांगते थक गए...सांसदों और विधायकों ने मुख्यमंत्री पर्यटन के नाम पर नहीं दिया एक पैसा

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अनुपम सिंह/बरेली, अमृत विचार। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए साल भर पहले लागू की गई मुख्यमंत्री पर्यटन विकास सहभागिता योजना जिले में अब भी जहां के तहां है। इस योजना को सांसद और विधायक निधि के सहयोग से क्रियान्वित किया जाना था लेकिन पर्यटन विभाग की ओर से कई बार बातचीत किए जाने के बावजूद जिले के किसी सांसद या विधायक ने एक पैसा नहीं दिया। फिलहाल यह योजना पर्यटन विभाग के कागजों में बंद पड़ी है।

राज्य सरकार ने 15 मई 2023 को इस योजना की घोषणा की थी। इसके तहत किसी सरकारी जमीन को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना था। हर विधानसभा क्षेत्र में एक पर्यटन स्थल विकसित करने के लिए 15 दिन के अंदर प्रस्ताव मांगे गए थे। शासन का निर्देश आने के बाद पर्यटन विभाग जिले के सांसदों-विधायकों के साथ कई बार पत्राचार और बैठकें कीं लेकिन कोई जनप्रतिनिधि अपनी निधि से एक पैसा देने को तैयार नहीं हुआ। 15 मई को इस योजना का बगैर किसी उपलब्धि के एक साल पूरा हो गया।

योजना के क्रियान्वयन के लिए एक समिति भी बनाई गई थी जिसमें जिले के प्रभारी मंत्री को अध्यक्ष, डीएम को उपाध्यक्ष, सीडीओ, प्रभागीय वनाधिकारी, बीडीए उपाध्यक्ष, नगर आयुक्त, अधिशासी अधिकारी नगर पालिका, नगर पंचायत, जिला परिषद के अपर मुख्य अधिकारी, डीपीआरओ, क्षेत्रीय पुरातत्व अधीक्षक, जिला कृषि अधिकारी को सदस्य और मुख्य कोषाधिकारी को कोषाध्यक्ष नामित किया गया था।

राजस्व और रोजगार सृजन के साथ होना था पर्यटन विकास
योजना के तहत शासन ने उन स्थलों की जानकारी मांगी थी, जहां प्रतिवर्ष न्यूनतम 50 हजार पर्यटक आते हैं। योजना थी कि ऐसे स्थानों को घरेलू और विदेशी पर्यटकों के आवागमन के लिहाज से संभावित राजस्व और रोजगार सृजन के आधार पर पर्यटन विकास के लिए चिह्नित किया जाए। योजना में 25 लाख से पांच करोड़ तक लागत के प्रस्तावों को शामिल किया गया था। 

इसमें आधी रकम जनप्रतिनिधियों को अपनी निधि से देनी थी, शेष विभाग को वहन करना था। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह की एक बैठक में जिले के जनप्रतिनिधियों की ओर से कोई प्रस्ताव न देने पर बात हुई थी। इस बैठक में जनप्रतिनिधियों का अंश 25 लाख से कम करके 10 या 12 लाख करने की मांग की गई थी लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया।

तय किए गए थे ये उद्देश्य
-प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थल का चयन।
-पर्यटन संभावनाओं से परिपूर्ण पर्यटक स्थलों का उच्चस्तर पर विकास।
-पर्यटन सुविधाओं के प्रबंधन के साथ बेहतर कार्यशील मॉडल स्थापित करना।

-स्थानीय और घरेलू पर्यटकों के आवागमन में लगातार वृद्धि करना।
-चिह्नित अल्पज्ञात पर्यटक स्थलों पर पर्यटन सेवा प्रदाताओं को आकर्षित करना।
-चयनित स्थलों पर पर्यटकों के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना।
-पर्यटन के साथ स्थानीय उद्यमियों को प्रोत्साहन देकर रोजगार के अवसर बढ़ाना।

क्योंकि निधि वोटों के काम आती है, विकास के लिए नहीं
जनप्रतिनिधियों को हर साल पांच करोड़ रुपये की निधि दी जाती है। विधायक इस धनराशि से उन कार्यों को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं, जो ज्यादा आबादी को प्रभावित करें और उसकी लोकप्रियता बढ़ने के साथ उसका वोट बैंक भी मजबूत करें। यहां चुनाव में उनके काम आता है। माना जा रहाहै कि इसी कारण विधायकों ने इस याेजना से दूरी बनाए रखी। पर्यटन विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक फोन करने पर कई विधायकों ने साफ कहा कि उन्हें अपनी निधि सड़क, बिजली जैसे कामों पर खर्च करनी है। यह काम उनके क्षेत्र के लिए ज्यादा जरूरी हैं।

मुख्यमंत्री पर्यटन विकास सहभागिता योजना पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है। एक साल हो गया है। जनप्रतिनिधियों से कई बार वार्ता हो चुकी है। अभी किसी का प्रस्ताव नहीं आया है। चुनाव बाद उनसे फिर संपर्क किया जाएगा। - ब्रजपाल सिंह, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी

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