Lucknow University: स्वस्थ्य मानव की कुंजी है योग, 'योग और रोग' सेमिनार का आयोजन

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचारः लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय के संरक्षण एवं निर्देशन में योग मंथ का आयोजन किया गया है। इसी क्रम में दसवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024 को उत्साह के साथ मनाने के लिए शुक्रवार को सुबह छह बजे के.जी.एम.यू. के स्विमिंगपूल में विभिन्न आसनों का अभ्यास किया गया। इसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्रा रोमा हेमवानी ने प्लवानी प्राणायाम का अभ्यास किया। अभ्यास के समय दृश्य मन को मोह लेने वाला था। इस अवसर पर केजीएमयू के स्टूडेन्ट डीन वेलफेयर आरएएस कुशवाहा एवं अन्य छात्र छात्राएं उपस्थित थे।

योग स्वास्थ्य मानव की कुंजी

फैकल्टी के कॉर्डिनेटर डॉ. अमरजीत यादव ने प्लवानी प्राणायाम के लाभ के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि ये शरीर से अशुद्धियों और विषाक्त पदार्थों को निकालता है, पाचन में मदद करता है. इसके साथ ही कब्ज से छुटकारा दिलाता है, रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है, वायु प्रवाह को सुचारू बनाता है और मस्तिष्क कोशिकाओं को आराम मिलता है। डॉ. अमरजीत ने कहा कि स्वास्थ्य मानव जीवन की कुंजी है। योगा का हर रोज अभ्यास करना शरीर को रोगों से ग्रसित नहीं होने से बचाता है। उन्होंने कहा कि नेत्र के रोगों के लिए जलनेति, त्राटक का अभ्यास, दमा के लिए गौमुखासन, मधुमेह के अर्धमृत्सेन आसन उच्च रक्तचाप के लिए भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। 

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बीमारियों को दूर रखता है योग

योग विभाग के सभागार में योग और रोग शीर्षक सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें बनारस हिंदू विश्विद्यालय के आयुर्वेद विभाग के प्रो. एचएच अवस्थी, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के योग प्रशिक्षक डॉ.ब्रिजेंद्र प्रताप सिंह, योग एक्सपर्ट पूजा सिंह, इण्डियन योग फेडरेशन की योगाचार्य दीपा श्रीवास्तव वक्ता के रूप में मौजूद थे। एचएच अवस्थी ने कहा कि कोई व्यक्ति योगिक दृष्टिकोण से तभी स्वस्थ्य है, जब वह शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ्य हो। योग स्वास्थ्य के इन चारों आयाम को बराबर महत्व देता है। स्वस्थ्य रहने के लिए आसन, प्राणायाम, मुद्रा बन्ध और ध्यान के अभ्यास जरुरी है। प्रतिदिन अर्धमत्स्येंद्र आसन, गौमुखासन, वज्रासन, त्रिकोणसन, आदि प्राणायाम के साथ ही ध्यान का अभ्यास करना चाहिए। डॉ. ब्रिजेंद्र ने कहा कि शरीर में किसी प्रकार का रोग उत्पन्न ना हो उसके लिए भोजन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। सदैव ऐसे भोजन को ग्रहण करना चाहिए, जो आसानी से पच जायें खट्टे, कड़वे, मसालेदार भोजन के सेवन से बचे। पाचन संबंधी रोग का कारण बन जाते है। पूजा सिंह ने कहा कि योग सिर्फ रोगों को दूर नहीं करता बल्कि स्वस्थ्य जीवन जीने और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने में मदद करता है। दीपा श्रीवास्तव ने कहा कि रोग पहले शरीर को फिर मन को भी रोग ग्रस्त करते है। ऐसे में शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने के लिए आसन और प्राणायाम का अभ्यास करे।

 इस अवसर पर अधिष्ठाता प्रो. अशोक कुमार सोनकर, डॉ. रामकिशोर, डॉ. रामनरेश, शोभित सिंह व छात्र एवं छात्राएं उपस्थि थे।

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