बरेली: NEET, CUET और JEE के स्तर की कठिनाई कम करने से सामने आएंगे दूरगामी प्रभाव

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Published By Vishal Singh
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विशेषज्ञों के अनुसार छात्रों का तनाव कम करना ठीक मगर दूरगामी दुष्प्रभाव को भी नहीं कर सकते नजरंदाज

बरेली, अमृत विचार। केंद्र सरकार की ओर से नीट, जेईई और सीयूईटी जैसी प्रमुख प्रवेश परीक्षाओं के कठिनाई स्तर को कम करने के निर्णय की खबरें सामने आई हैं। यह निर्णय छात्रों की सुविधा और तनाव को कम करने के उद्देश्य से है लेकिन इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी आ सकते हैं। यह प्रभाव विद्यार्थियों और शिक्षा प्रणाली दोनों के लिए चिंताजनक हो सकते हैं। इस पर अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने सुझाव दिए हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार नीट, जेईई और सीयूईटी जैसी प्रमुख परीक्षाओं के कठिनाई स्तर को कम करना, भले ही छात्रों के तनाव को कम करने का उद्देश्य रखता हो, लेकिन इसके साथ ही शिक्षा प्रणाली और छात्रों की योग्यता पर नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए, शिक्षा नीति निर्माताओं को इस निर्णय के सभी पहलुओं पर विचार करना चाहिए और एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए ताकि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों की शैक्षणिक उत्कृष्टता बनी रहे।

क्या बोले विशेषज्ञ
- नीट, जेईई और सीयूईटी जैसी परीक्षाएं हमेशा से ही शैक्षणिक उत्कृष्टता का मानक रही हैं। इनका कठिनाई स्तर घटने से छात्रों के बीच शैक्षणिक उत्कृष्टता की अवधारणा में गिरावट आ सकती है, जिससे वे अपने विषयों में गहराई से ज्ञान प्राप्त करने की बजाय सतही ज्ञान पर अधिक निर्भर हो सकते हैं।- डॉ. राहुल वाजपेयी

- कठिनाई स्तर कम होने से आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े छात्रों के लिए तो यह सहायक हो सकता है, लेकिन इससे शिक्षण संस्थानों में समानता में असमानता की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। कुछ छात्रों को बेहतर संसाधनों और कोचिंग का लाभ मिल सकता है, जबकि ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के छात्रों को समान अवसर नहीं मिल पाएंगे।- डॉ. आलोक खरे

- कठिन प्रश्न और समस्याएं छात्रों की समस्या समाधान क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सरल प्रश्नों से इस क्षमता का विकास सीमित हो सकता है, जिससे छात्रों की तर्कशक्ति और विश्लेषणात्मक क्षमता में कमी आ सकती है। यह भविष्य में उनके करियर और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करने में अक्षम बना सकता है।-डॉ. अमर पाल

-कठिनाई स्तर कम होने से प्रतियोगिता का स्तर घट सकता है। ये परीक्षाएं छात्रों की योग्यता और क्षमता का परीक्षण करने के लिए होती हैं, और कठिनाई कम होने से योग्य छात्रों की पहचान करना मुश्किल हो सकता है। इससे उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश पाने वाले छात्रों की गुणवत्ता में कमी आ सकती है।- डॉ. जेएस भाकुनी, पूर्व नौसेना अधिकारी

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