Kanpur Bikru Kand: बिकरू कांड के चार साल पूरे; विकास दुबे गैंग ने खेली थी खून की होली, सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी हुए थे शहीद

Amrit Vichar Network
Published By Nitesh Mishra
On

Kanpur Bikru Kand कानपुर के बिकरू कांड के चार साल पूरे हो गए है

Kanpur Bikru Kand कानपुर के चौबेपुर थानाक्षेत्र के बिकरू गांव में दो जुलाई 2020 को विकास दुबे गैंग ने सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की नृशंस हत्या कर दी थी। आज से बिकरू कांड के चार साल पूरे हो गए है। लेकिन चार शहीद पुलिसकर्मियों के आश्रितों को अब तक नौकरी नहीं मिल सकी है।

कानपुर, (नितेश मिश्र)। Kanpur Bikru Kand कानपुर के चौबेपुर थानाक्षेत्र के बिकरू गांव में दो जुलाई 2020 को विकास दुबे और उसके गैंग ने खून की होली खेली थी। दबिश देने के दौरान विकास दुबे गैंग ने छतों से ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थी। जिसमें सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की नृशंस हत्या कर दी थी। हत्यारों ने किसी को बाथरूम तो किसी को बीच सड़क पर गोलियों से छलनी कर दिया था। बिकरू कांड से पूरे देश में हलचल मच गई थी। आज से बिकरू कांड के पूरे चार साल हो गए। चार साल बीतने के बाद भी अभी तक शहीदों को इंसाफ नहीं मिला, कई शहीद के आश्रित नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे है। आईये हम आपको इन चार सालों में क्या क्या हुआ सिलसिलेवार बताते है...

Bikru Kand

सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी हुए थे शहीद

विकास दुबे के घर पर छापेमारी की खबर पुलिस के किसी भेदिया ने विकास को दे दी थी। जानकारी पाकर विकास दुबे ने ठान लिया था कि आज कुछ बड़ा करना है। इस पर उसने सबसे पहले बिकरू गांव की बिजली कटवाई। इसके बाद घर से थोड़ी दूर पर ही जेसीबी से रोड ब्लॉक करा दिया। इसके बाद विकास समेत उसकी गैंग के गुर्गे एके-47, राइफल लेकर छतों और छिपकर खड़े हो गए। पुलिस के पहुंचते ही ताबड़तोड़ गोलियां चलने लगी। गोली चलने से कई पुलिसकर्मियों ने छिपकर अपनी जान बचाई थी। लेकिन सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।

ये पुलिसकर्मी हुए थे शहीद

तत्कालीन बिल्हौर सीओ देवेंद्र मिश्रा, शिवराजपुर एसओ महेश यादव, मंधना चौकी इंचार्ज अनूप कुमार सिंह, एसआई नेबू लाल, सिपाही जितेंद्र पाल, सुल्तान सिंह, राहुल कुमार व बबलू कुमार शहीद हो गए थे। एक साथ आठ पुलिसकर्मियों की शहीद की खबर पाकर पूरे देश दहल गया था। हर किसी के गुस्सा था।

Bikru Kand

चार के आश्रित को मिली नौकरी, चार के परिजन अभी भी भटक रहे

बिकरू कांड में आठ पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। जिसमें चार के आश्रित को नौकरी मिल गई है, लेकिन चार अन्य पुलिसकर्मी के परिजन अब भी भटक रहे है। उनका कहना है कि एक तो अपने को खोने का गम, ऊपर से नौकरी न मिलना। तत्कालीन बिल्हौर सीओ देवेंद्र मिश्रा की बेटी वैष्णवी मिश्रा को पुलिस विभाग में ओएसडी के पद पर नौकरी मिल गई। सिपाही बबलू कुमार के भाई उमेश को सिपाही के पद पर नौकरी मिली। शहीद चौकी इंचार्ज अनूप की पत्नी नीतू और सिपाही राहुल की पत्नी दिव्या को नौकरी मिल गई है। जबकि सिपाही सुल्तान सिंह, जितेंद्र पाल, नेबू लाल और शिवराजपुर एसओ महेश यादव के आश्रितों को अब तक नौकरी नहीं मिल सकी। सरकार ने इनके आश्रितों के सामने टेस्ट और फिजिकल टेस्ट पास करने की शर्त करने की रख दी। जिसके चलते नौकरी नहीं मिल सकी। 

उज्जैन में चिल्लाकर बोला था- मैं विकास दुबे कानपुर वाला

सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने के बाद विकास दुबे फरार हो गया। मामला बड़ा होने के चलते डीजीपी खुद घटना की मॉनिटीरिंग कर रहे है। उन्होंने करीब दो दर्जन से अधिक टीमों को विकास दुबे की तलाश में लगाया था। नौ जुलाई 2020 को मध्यप्रदेश की उज्जैन में पुलिस ने पकड़ा था। पुलिस के पकड़ते ही वह चिल्लाकर बोला था कि मैं विकास दुबे हूॅं कानपुर वाला। 

सचेंडी में पुलिस ने एनकाउंटर में कर दिया था ढेर

दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को एसटीएफ और पुलिस की टीमें उज्जैन से कानपुर लेकर आ रही थी। इस दौरान सचेंडी के पास पहुंचते ही गाड़ी पलट गई। विकास दुबे ने भागने के दौरान पुलिस पर फायरिंग कर दी थी। जवाबी फायरिंग में पुलिस की गोली लगने से वह ढेर हो गया। वहीं, विकास की पत्नी ऋचा दुबे ने पुलिस और मीडिया पर जमकर कटाक्ष किया था।

घटना के बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ करने शुरू किए थे एनकाउंटर

दो जुलाई 2020 की रात में विकास दुबे और उसके गैंग ने सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी को मार गिराया था। इसके बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ एनकाउंटर करने शुरू किए थे। पुलिस और एसटीएफ की टीम ने महज आठ दिनों के अंदर उसके छह गुर्गों को अलग-अलग जगहों पर एनकाउटंर में मार गिराया था। 

बिकरू कांड से जुड़े 44 लोगों को पुलिस अब तक भेज चुकी सलाखों के पीछे

बिकरू कांड के मुख्य मामले में पुलिस ने विवेचना कर 44 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजने के साथ उनके खिलाफ आरोप पत्र एंटी डकैती कोर्ट में दाखिल कर दिए थे। वहीं पुलिस ने 30 आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई कर आरोपपत्र अदालत में पेश किए थे।

Bikru News विकास दुबे

30 आरोपियों में 7 बारी, 23 आरोपियों को 10 वर्ष की सजा

बिकरूकांड के गैंगस्टर मामले में मंगलवार को एडीजे पंचम की अदालत ने 23 आरोपियों को दोष सिद्ध करार देते हुए दस-दस साल कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही प्रत्येक दोषी पर पचास-पचास हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। वहीं साक्ष्य के अभाव में सात आरोपी दोष मुक्त कर दिए गए। वहीं 44 आरोपियों को जेल भेजा गया था। जिसमें 30 आरोपियों के खिलाफ तत्कालीन चौबेपुर इंस्पेक्टर कृष्ण मोहन राय ने 23 अक्तबर 2020 को थाने में गैंगस्टर की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया था कि 2 जुलाई 2020 को विकास दुबे व उसके साथी गैंग लीडर हीरू दुबे ने अपने साथियों के साथ मिलकर पुलिस कर्मियों की हत्या करने के बाद उनके असलहा लूट लिए थे। इस घटना से लोक शांति भंग हो गई थी। आरोपी जघन्य अपराधों को करने के अभ्यस्त अपराधी हैं। अदालत ने तीस आरोपियों में से 23 को दोषी पाए जाने पर दस-दस साल के कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही प्रत्येक दोषी पर पचास-पचास हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। मामले में विकास दुबे के करीबी रहे गुड्डन उर्फ अरविंद त्रिवेदी सहित सात आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में अदालत ने दोषमुक्त कर दिया है।

जिसको माना पक्का दोस्त- उसी की बहन पर डाली नजर और कर ली शादी

गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने दोस्त तक को नहीं छोड़ा था। विकास ने करीब 20 साल पहले अपने मध्यप्रदेश के शहडोल के बुढ़ार कस्बे के रहने वाले दोस्त की बहन ऋचा को भगाकर शादी की थी। जब ऋचा के घरवालों ने विरोध किया था तो विकास ने उनकी कनपटी पर पिस्टल तानकर धमकी दी थी। विकास दुबे के दोस्त और साला ज्ञानेंद्र ने पुलिस को बताया था वे और विकास जिगरी दोस्त थे। दो आपराधिक केस में विकास के साथ नाम आने पर वह बाहर चला गया था। तभी करीब 24 साल पहले विकास ने उसकी से लवमैरिज की थी।

विकास की पत्नी ऋचा दुबे बच्चों के साथ लखनऊ में रहती

विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे के दो बच्चे है। ऋचा अपने दो बेटे आकाश और शानू के साथ लखनऊ में रहती है। जबकि विकास दुबे बिकरू में अकेले रहता था।
 

घटना के बाद मकान में चला था बुलडोजर

विकास दुबे ने अपने साथियों के साथ जिस मकान से पूरी घटना को अंजाम दिया था। उस मकान में प्रशासन ने बुलडोजर चलवाकर ध्वस्त कर दिया था। बता दें कि, विकास के करीब 1000 गज के मकान के चारों ओर ब्राउंडी में कटीले तार लगवा रखे थे। साथ ही एक कमरे में कई नस्ल के कुत्ते भी रख रखे थे।

विकास दुबे पर मनी लांड्रिंग मामले में ईडी ने तय किए आरोप

चर्चित बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे की संपत्तियां जब्त करने के फैसले पर नई दिल्ली निर्णायक प्राधिकारी ने मुहर लगा दी है। ईडी ने 22 नवंबर 2022 में जांच के दौरान विकास व उसके गैंग की 10 करोड़ से ज्यादा की संपत्तियां जब्त की थीं, जिनकी जांच पूरी हो चुकी है। मामले में ईडी तीन माह पहले ही अदालत में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। जांच के दौरान सामने आया था कि विकास दुबे और उसके साथी जयकांत ने वसूली, हत्या, जमीन पर कब्जा व सार्वजनिक वितरण में हेराफेरी जेसे अपराध करके करोड़ों रुपये से अधिक की संपत्ति जुटाई थी। मामले में चार साल बाद ईडी ने विकास दुबे व पत्नी ऋचा समेत पांच आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया है।

विकास और जय का था गहरा कनेक्शन

विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद कानपुर के काकादेव थाने के पास तीन महंगी लावारिस कारें खड़ी मिली थी। पुलिस की जांच में सामने आया था कि यह कारें विकास दुबे के खंचाजी जय बाजपेई की है। पुलिस की जांच में ये भी सामने आया था कि विकास दुबे का जय से गहरा कनेक्शन था। उसकी अवैध कामों में जय का भी हाथ था। बहराल जय बाजपेई अभी जेल में बंद है।

चौबेपुर से लेकर शहर तक चलती थी वसूली

चौबेपुर के बिकरू गांव के रहने वाले विकास दुबे का खौफ इतना था कि उसके खिलाफ कोई बोलना नहीं चाहता था, जो बोलता वो बाद में गायब हो जाता है। इतना ही नहीं, दबी जुबान से अभी भी लोग बताते है कि उसकी चौबेपुर से लेकर शहर तक में गुर्गे वसूली करते थे।

हालांकि विकास दुबे और उसके गैंग का एनकाउंटर, इसके बाद घटना में शामिल सभी की संपत्ति जब्त के साथ पुलिस और एसटीएफ की टीमों ने विकास और उसके गैंग का बिल्कुल सफाया कर दिया। लेकिन शहीद चार पुलिसकर्मियों के आश्रितों को अभी भी नौकरी की दरकार है। उनका कहना है कि सरकार से उन्हें बहुत उम्मीदें है।

ये भी पढ़ें- Kanpur: बिकरू कांड के आरोपी विकास दुबे पर मनी लांड्रिंग मामले में ईडी ने तय किए आरोप, संपत्तियां जब्त करने पर लगी मुहर

संबंधित समाचार