बरेली: हुसैनी नारों के साथ शिया समुदाय में अजादारी और मजलिसों का दौर शुरू

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Published By Vivek Sagar
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बरेली, अमृत विचार। मोहर्रम का महीना शुरू होने के साथ शिया समुदाय में सोमवार से अजादारी और मजलिसों का दौर शुरू हो गया। इमाम हुसैन की याद में अलग-अलग इमामबाड़ों में पुरुषों और महिलाओं की मजलिसों का आयोजन हुआ। वहीं, सुन्नी समुदाय की ओर से जगह-जगह तख्त और ताजिए सजाए गए।

इमाम हुसैन और उनके साथ कर्बला में शहीद होने वालों का गम मनाया गया। मोहर्रम की पहली मजलिस इमामबाड़ा मुहम्मद शाह गढ़ैया में सुबह नौ बजे से शुरू हुई। इसके बाद गढ़ैया स्थित इमामबाड़ा हकीम आगा साहब, इमामबाड़ा वसी हैदर, इमामबाड़ा महबूब हुसैन, इमामबाड़ा छिद्धि मुहम्मद कंघी टोला, दीवानखाना छीपी टोला, इमामबाड़ा कबीर हसन में मजलिस हुई।

रात्रि मजलिस इमामबाड़ा फतेह अली शाह काला इमामबाड़ा में हुई। वहीं, इमामबाड़ा गुलाम हैदर आब्दी में हसनैन रजा आब्दी की ओर से कार्यक्रम हुआ। अली काॅलोनी लीचीबाग में शाहनवाज हुसैन काजमी के नेतृत्व में शब्बेदारी हुई। ऑल इंडिया गुलदस्ता-ए-हैदरी के मीडिया प्रभारी शानू काजमी ने बताया कि इन सभी दिन और रात्रि मजलिसों को मौलाना शम्सुल हसन खां, सैयद जैनुल हसन जैदी, गुलाम असकरी, महबूब हुसैन आदि ने खिताब किया। महिलाओं ने भी सभी इमामबाड़ों में मजलिस मातम किया।

अंजुमनों ने की नौहाख्वानी
मरहूम एजाज अब्बास नकवी के अजाखाना कंघीटोला में गुलदस्ता-ए-हैदरी ने नौहख्वानी की। इमामबाड़ा महमूद हसन नकवी इंग्लिशगंज, इमामबाड़ा डॉ. असद जैदी किला कठघर में भी नौहख्वानी हुई। जफर अब्बास रिजवी के अजाखाने में मजलिस हुई और फिर अंजुमन शमशीर-ए-हैदरी, अंजुमन गुलदस्ता ए हैदरी, अंजुमन ऑल इंडिया गुलदस्ता-ए-हैदरी, परचम-ए-अब्बास, परचम-ए-हुसैन आदि अंजुमनों ने नौहख्वानी की। जमन रिजवी, अली आलिम जैदी, नसीम हसन खां, रफत बिजनौरी आदि शामिल रहे।

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