Pitru Paksha 2024: इस दिन से शुरू होंगे पितृ पक्ष, जानें- कैसे करें श्राद्ध

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर, अमृत विचार। हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष का आरंभ भाद्रपद मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा से होता है और आश्विन मास की अमावस्‍या पर समापन होता है। इस साल पितृ पक्ष 17 सितंबर से आरंभ हो रहा है और 2 अक्‍टूबर को समाप्‍त होगा। सनातन धर्म में पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्‍त करने के लिए एक पखवाड़े का समय निर्धारित किया गया है। जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनके लिए तर्पण करते हैं और पिंडदान करते है। 

पं. मनोज कुमार द्विवेदी ज्योतिषाचार्य ने बताया कि ऐसा करने से हमारे पितरों की आत्‍मा तृप्‍त और प्रसन्‍न होकर हमें सदा सुखी और खुशहाल रहने का आशीर्वाद देती है इसलिए अपने पूर्वज पितरों के प्रति श्रद्धा भावना रखते हुए आश्विन कृष्ण पक्ष में पितृ- तर्पण और श्राद्ध कर्म करना नितान्त आवश्यक है। इससे स्वास्थ्य, समृद्धि, आयु, सुख- शान्ति, वंशवृद्धि एवं उत्तम सन्तान की प्राप्ति होती है।

पं मनोज कुमार द्विवेदी

श्रद्धापूर्वक किए जाने के कारण ही इसका नाम 'श्राद्ध' है। इस बात का भी ध्यान रहे कि श्राद्धकृत्य 'अपराह्नकाल' व्यापिनी तिथि में किए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार बड़े पुत्र और सबसे छोटे पुत्र को श्राद्ध करने का अधिकार है, इसके अलावा विशेष परिस्थिति में किसी भी पुत्र को श्राद्ध करने का अधिकार है।

पितरों का श्राद्ध करने से पूर्व स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। कुश घास से बनी अंगूठी पहनें। इसका उपयोग पूर्वजों का आह्वान करने के लिए किया जाता है। पिंडदान के एक भाग के रूप में जौ के आटे, तिल और चावल से बने गोलाकार पिंड को भेंट करें। शास्त्रसम्मत मान्यता यही है कि किसी सुयोग्य विद्वान ब्राह्मण द्वारा ही श्राद्ध कर्म (पिंड दान, तर्पण) करवाना चाहिये। श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को तो दान दिया ही जाता है साथ ही यदि किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य मिलता है। इसके साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिये भी भोजन का एक अंश जरुर डालना चाहिये।

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