Exclusive: शहर काजी डॉ. मुफ्ती यूनुस रजा ओवैसी बोले- जश्ने चिरागां पर तमाशा नाजायज, करें तौबा

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्म दिन पर जश्ने चिरागां की रात जाजमऊ में कुछ लोगों ने प्रतीकात्मक शैतान खबीस बनाकर तमाशा किया। यह काम बिल्कुल नाजायज है। इसके पीछे जिन लोगों का हाथ था, सबको तौबा करनी चाहिए। जो लोग यह तमाशा देखकर खुश हुए हैं, उन पर भी तौबा लाजिम है। यह बात बुधवार को शहर काजी डॉ. मुफ्ती यूनुस रजा ओवैसी ने कही।

बेकनगंज में अंजुमन नूर मोहम्मद की जानिब से सर सैयद लाइब्रेरी के सामने शहरकाजी ने जलसे को खिताब करते हुए कहा कि जुलूस ए मोहम्मदी दीन ए इस्लाम का अजीम जुलूस और बड़ा त्योहार है। सारे त्योहारों की असल यही है। इसके बावजूद जाजमऊ की एक तंजीम ने शैताब खबीस बनाकर तमाशा करके इस मुकद्दस रात को पामाल (नष्ट) किया।
 
शहरकाजी ने कहा कि ऐसे लोग इस्लाम से खारिज तो नहीं होंगे, लेकिन जिन लोगों ने ये गुनाह किया है, उनमें अल्लाह का खौफ होगा तो तौबा जरुर करेंगे। शहरकाजी ने कहा कि माहे नूर की बारहवीं रात रोशनी की रात है जिसमें कानपुर और आसपास सजावटें काबिल ए दीदार होती हैं, पूरा शहर तंजीमों की रोशनी और सजावट में नहाता है और ईद ए मीलाद की खुशियां होती हैं। शहरकाजी के मीडिया प्रवक्ता शमशुल कमर रहमानी एवं सूफी लाल मोहम्मद कादरी ने बताया कि शहरकाजी ने सारी तंजीमों को ऐसी हरकतों से बचने की हिदायत दी है।

जुलूस-ए-मोहम्मदी में जमीअत की कयादत मंजूर नहीं

शहरकाजी डॉ. मुफ्ती यूनुस रजा ओवैसी ने जलसे में कहा कि देवबंदी मौलाना इकबाल कासमी के बयान का वीडियो हर साल घूमता है, जिन्होंने जुलूस-ए-मोहम्मदी के बारे में जो कुछ कहा है कि उससे साफ है कि इस जुलूस से जमीअत का कुछ लेना देना नहीं है। जुलूस की कयादत करने का दावा जमीअत उलमा करती है, लेकिन सच्चाई ये है कि एक वर्ग ने जमीअत की कयादत कभी स्वीकार नहीं की है।

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