200 वर्ष से अधिक पुरानी है सुमेरगंज की रामलीला : स्थानीय कलाकार करते हैं भव्य मंचन

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Published By Vinay Shukla
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रामसनेहीघाट, बाराबंकी: नगर पंचायत रामसनेही घाट के सुमेरगंज के रामलीला मैदान पर होने वाली रामलीला का ब्रिटिश हुकूमत के समय से लगभग 200 वर्ष से अधिक पुराना इतिहास है। श्री रामलीला की शुरुआत रामजानकी ट्रस्ट द्वारा कराई गई थी। तभी से रामलीला अनवरत चलती आ रही है।

ट्रस्ट के पदाधिकारी प्रमोद गुप्ता उर्फ मुन्ना ने बताया कि सबसे बड़ी बात यह है कि यहां के स्थानीय लोग ही रामलीला में हिस्सा लेकर बेहतर कलाकारी कर भव्य मंचन करते हैं। आम लोगों को एक स्थान पर जोड़ने का यह सशक्त स्थान है। धीरे-धीरे यहां की रामलीला भव्य आकार लेने लगी। वर्ष 2022 में यहां पर रामलीला भवन का भव्य पुनर्निर्माण हुआ। यहां रामलीला के विभिन्न पड़ावों के बाद दशहरा के दिन विशाल मेला दशहरा मैदान पर आयोजित होता है। इसमें धू-धू कर जलने वाले रावण, मेघनाद और कुम्भकरण के किरदार लोगों को बुराई छोड़ सत्य के मार्ग पर चलने की सीख देते हैं।

हर वर्ष रावण वध के समय नेता, अधिकारी, प्रतिष्ठित व्यापारियों समेत अन्य लोग यहां पहुंचते हैं। भगवान राम के तीर से रावण वध का दृश्य अपने आप में अनूठा होता है। दूधिया रोशन बिखरेती लाइटें दर्शकों के मन को भा जाती है। यहां की रामलीला काफी लोकप्रिय है। जिसमें भगवान राम के जीवनकाल का वास्तविक मंचन करने का प्रयास किया जाता है। हजारों की तादाद में लोग मेले में पहुंचते हैं। रावण वध के दूसरे दिन राष्ट्रीय स्तर की कुश्ती का कार्यक्रम का भी आयोजित किया जाता है।

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