Kanpur: सदस्यता अभियान ने तो नाकों चने चबवा दिए, जीजान से जुटे अंतिम दिन, क्षेत्रीय अध्यक्ष का ये है दावा...

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Published By Nitesh Mishra
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रेफरल कोड, ओटीपी साझा करने जैसी दिक्कतों ने प्रभावित किया

कानपुर, अमृत विचार। भाजपा के सदस्यता अभियान का मंगलवार को अंतिम दिन है। इसके बाद पांच दिन तक सक्रिय सदस्यता का अभियान चलेगा जिसमें 50 सदस्य बनाने होंगे। लक्ष्य प्राप्ति के लिए आउट सोर्सिंग को सदस्यता अभियान के लिए टूल बनाने वालों की सूची तैयार की जा रही है। ऐसे लोगों की मॉनीटरिंग खुद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी करेंगे। 

बताया जाता है कि एजेंसियों का सहारा लेकर लक्ष्य प्राप्त करने वालों की सूची तैयार की जा रही है। यही नहीं कानपुर से बाहर के लोगों को भी अपने कोटे में सदस्य बनाने में लोग पीछे नहीं रहे। पार्टी सूत्र बताते हैं कि ओटीपी और रेफरल कोड प्रक्रिया के कारण बहुत से सांसद, विधायक और वरिष्ठ नेता लोग लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। ओटीपी साझा करने में लोग झिझकते हैं। ज्यादातर लोगों का मानना् है कि मिस्ड कॉल से सदस्य बनाना बेहद सरल और कारगर था। 

एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि ओटीपी साझा करने में विश्वास बड़ा मुद्दा है। उन्हें धोखाधड़ी का संदेह भी होता है। लोगों के बीच जाकर सदस्य बनाने वालों को यही दिक्कत आ रही है। उत्साह की कमी है। समय भी लगता है। कुछ विधायकों, सांसदों और मंत्रियों ने प्राइवेट एजेंसियों की सेवाएं ली हैं। ये लीडरों के रेफरल कोड पर भाजपा का सदस्य बना रही हैं। 

लगभग 30 से 50 रु. प्रति नेता चार्ज करती हैं। एक नेता कहते हैं कि ओटीपी साझा करने की अनिवार्यता न होती तो अभियान बहुत सहज हो जाता। एक एजेंसी के मैनेजर ने बताया कि सांसद, विधायक और मंत्रियों के प्रतिनिधियों ने संपर्क किया था। 

लक्ष्य पूरा करने के लिए कई भाजपा नेता स्कूल कालेज, फैक्टरियां, नगर निगम, प्राधिकरण  में संविदा कर्मचारियों व बिजली, स्वास्थ्य विभाग में नेताओं के रेफरल कोड पर भारी मात्रा में सदस्यता फॉर्म भरवा रहे हैं।  हाल ही में चर्चा में आए एक बड़े नेता ने तो निज प्रभाव वाले आसपास के जिलों, फैक्टरियों में सदस्य बनाए। उनके लिए एक एजेंसी काम कर रही है। 

जनप्रतिनिधियों ने सरकारी योजनाओं की दुहाई देते हुए सदस्य बनाए। अंतिम दिन मंगलवार को भाजपा की अधिकरिक वेबसाइट में सदस्यता संख्या देर शाम तक अपलोड नहीं हुई थी। पर अनुमान के आधार पर कहा जा रहा है कि कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में प्रति विधानसभा क्षेत्र 45 हजार औसतन सदस्य बनाए जा चुके हैं। 

रेफरल कोड प्रक्रिया लक्ष्य पूरा करने में बड़ा रोड़ा है। ओटीपी देने में हिचकिचाहट अभियान पर उल्टा असर डाल रही है। लोकसभा चुनाव में क्षेत्र की कई सीटों पर हार का भी सदस्यता अभियान पर असर पड़ा है। पार्टी काडर पर भाजपा की निर्भरता है।

कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के अध्यक्ष प्रकाश पाल ने बताया कि 13 अक्टूबर तक 25 लाख सदस्य बनाए जा चुके थे जिनके 15 अक्टूबर यानी आज तक 25 लाख तक पहुंचने की संभावना है। उनका कहना है कि सदस्यता अभियान में किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई। और न ही कोई शिकायत मिली। प्रक्रिया भी आसान थी। स्मार्ट फोन रखने वाला घर बैठे सदस्य बन सकता है।

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