Exclusive: कॉल रिकॉर्डिंग बनी सबूत नहीं तो राख में खाक हो जाता विवाहिता की मौत का राज

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Published By Monis Khan
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भीष्म सिंह देवल, संभल। संभल जनपद के रजपुरा थाना क्षेत्र में 7 साल पहले घर में घुसकर विवाहिता के साथ सामूहिक दुष्कर्म और फिर उसे घर से खींचकर मंदिर के हवन कुंड में रखकर जिंदा जला देने की दिल दहला देने वाली घटना को झुठलाने के पुलिस ने जी तोड़ प्रयास किए थे, लेकिन मौत से पहले विवाहिता द्वारा अपने ममेरे भाई को की गई फोन कॉल की रिकॉर्डिंग ने न सिर्फ पुलिस को बैकफुट पर आने पर मजबूर किया बल्कि अदालत में भी यह कॉल रिकॉर्डिंग और बेटी की गवाही अपराधियों को सजा दिलाने में अहम सबूत बनी। अदालत ने माना कि आरोपियों ने विवाहिता के साथ दुष्कर्म किया और फिर उसे जिंदा जलाकर मार दिया। इसी के चलते अदालत ने चार आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

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संभल जनपद के रजपुरा थाना क्षेत्र में दिल दहला देने वाली घटना 13 जुलाई 2018 की रात 2:30 बजे घटी थी। गांव में रहने वाली महिला का पति गाजियाबाद में रहकर मेहनत मजदूरी करता था। महिला गांव के घर में अपनी 7 साल की बेटी के साथ अकेली सो रही थी। इसी दौरान गांव के ही आराम सिंह, महावीर, गुल्लू ,भोना उर्फ कुमरपाल व एक नाबालिग आरोपी सहित पांच लोग विवाहिता के घर में घुस गए। दिन में हुए विवाद की बिनाह पर महिला से बदला लेने के लिए इन पांचों ने बेटी के सामने ही विवाहिता के साथ से दुष्कर्म किया। जाते समय पांचों आरोपी यह भी कह कर गए कि वह उसे जिंदा जलाएंगे। डरी सहमी विवाहिता ने पहले अपने पति को फोन मिलाया, लेकिन देर रात का वक्त होने की वजह से उसका फोन नहीं उठा। मदद के लिए महिला ने डायल 100 नंबर पर भी कॉल की लेकिन वह नंबर भी रिसीव नहीं हुआ। 

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इसके बाद विवाहिता ने अपनी ममेरे भाई को फोन किया तो उसका फोन उठ गया। विवाहिता ने अपने ममेरे भाई को आरोपियों के नाम लेकर बताया कि इन लोगों ने घर में घुसकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया है और कह कर गए हैं कि उसे जिंदा जला देंगे। इसके बाद विवाहिता का ममेरा भाई अन्य लोगों के साथ सुबह को गांव में पहुंचा तो विवाहिता का जला हुआ शव पास ही मंदिर की झोपड़ी में बने हवन कुंड में पड़ा था। यहां झोंपड़ी भी जली पड़ी थी। जिन लोगों ने विवाहिता को सामूहिक दुष्कर्म के बाद जिंदा जलाया था वह पास में खड़े होकर विवाहिता द्वारा आत्महत्या कर लेने की बातें करते हुए मामले को दूसरा मोड़ देने में लगे हुए थे। विवाहिता के भाई की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और जब पुलिस को भाई ने कॉल रिकॉर्डिंग के बारे में बताया तो आरोपी आनन-फानन में मौके से गायब हो गए। जिले की पुलिस इतनी गंभीर घटना का सच स्वीकार करने को तैयार नहीं थी और किसी भी तरह मामले को रफा दफा करने के प्रयास में जुटी थी।

पुलिस ने जारी किया था बेशर्मी भरा प्रेस नोट, एसपी हुए थे निलंबित
विवाहिता के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसे मंदिर की झोपड़ी में हवन कुंड में बैठकर जिंदा जला देने की दिल दहला देने वाली घटना को रफा दफा करने में सबसे आगे उस समय जनपद संभल में तैनात पुलिस अधीक्षक आरएम भारद्वाज थे। महिला के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा भी नहीं गया था। तभी पुलिस अधीक्षक आरएम भारद्वाज ने मीडिया को बयान जारी करके कह दिया था कि विवाहिता के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ। इसके साथ ही उन्होंने मीडिया को दिए बयान में पीड़िता का नाम भी सार्वजनिक कर दिया था। घटना को लेकर पुलिस की तरफ से जो प्रेस नोट जारी किया गया था उसमें भी घटना को झुठलाने का प्रयास करते हुए बेशर्मी भरी बातें लिखी गई थीं। प्रेस नोट में कहा गया था कि नामजद अभियुक्त न सिर्फ महिला के गांव के हैं बल्कि महावीर मृतका का जेठ और बाकी तीन उसके भतीजे लगते हैं।

 इसके साथ ही पुलिस ने प्रेस नोट में महिला के चरित्र पर उंगली उठाते हुए लिखा था कि जानकारी करने पर यह ज्ञात हुआ है कि अभियुक्तों को मृतका महिला के घर पर कुछ लोगों के आकर उससे मिलने पर ऐतराज था। जिसे लेकर एक दिन पहले महिला से ऐतराज जताया गया था। पुलिस ने ममेरे भाई द्वारा उपलब्ध कराई गई फोन कॉल रिकॉर्डिंग को लेकर कहा था कि इस ऑडियो रिकॉर्डिंग को सुनने से यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा कि उसके साथ गाली गलौज, मारपीट, छेड़खानी अथवा बलात्कार जैसी किस प्रकार की घटना को अंजाम दिया गया। महिला की बेटी को लेकर भी पुलिस ने कहा था कि आरोपी उसकी मां को खींचकर कमरे में ले गए थे, लेकिन उसने बलात्कार जैसी कोई घटना नहीं देखी। शासन इस घटना की जांच के लिए एडीजी प्रेम प्रकाश को मौके पर भेजा था इसके बाद ही जब जांच में यह बात साबित हुई कि विवाहिता के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसे जिंदा जलाया गया है तो गलत बयानी व लापरवाही करने वाले पुलिस अधीक्षक के आरएम भारद्वाज को शासन ने निलंबित कर दिया था। इसके साथ ही थाना प्रभारी वरुण कुमार व अन्य पुलिस कर्मियों पर भी राज गिरी थी।

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