देहरादून: उत्तरकाशी में पहली बार सिलिका रेत के खनन की योजना, 15 लाख टन निकालने का लक्ष्य

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Published By Bhupesh Kanaujia
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देहरादून, अमृत विचार। प्रदेश में कांच उद्योग और अन्य औद्योगिक उपयोगों के लिए सिलिका रेत के खनन की तैयारी शुरू हो गई है। उत्तरकाशी में 215 हेक्टेयर क्षेत्र में नौ जगहों को चिह्नित किया गया है, जहां इस बहुउपयोगी रेत का खनन किया जाएगा। भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर तेजी से काम कर रहा है।

सालाना 15 लाख टन रेत निकालने की योजना

भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के अनुसार, इस योजना के तहत हर साल 15 लाख टन सिलिका रेत निकालने का लक्ष्य है। वर्तमान में, विभाग कुमाऊं और गढ़वाल मंडल की नदियों से खनन कर रहा है, जिसमें बागेश्वर से खड़िया की निकासी भी शामिल है। यह खनन विभाग के लिए महत्वपूर्ण राजस्व का स्रोत साबित हो रहा है।

सत्यापन प्रक्रिया में तेजी

चिह्नित स्थानों का सत्यापन कार्य जारी है, जिसमें यह पता लगाया जा रहा है कि भूमि राजस्व, वन विभाग या निजी है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सिलिका रेत से संबंधित सभी आवश्यक टेस्टिंग भी सफलतापूर्वक की जा चुकी है।

खनन की प्रक्रिया के लिए तैयारी

खनन की प्रक्रिया शुरू करने से पहले कई आवश्यकताओं को पूरा करना होगा, जैसे कि खनन योजना, सीमांकन, पीसीबी की अनुमति, और पर्यावरणीय स्वीकृति। विभाग का लक्ष्य है कि इस महीने तक टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली जाए, जिससे खनन कार्य शीघ्र प्रारंभ हो सके।

उत्तरकाशी में सिलिका रेत के खनन से लगभग ढाई सौ करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है। सिलिका रेत, जिसे सफेद रेत या औद्योगिक रेत भी कहा जाता है, का उपयोग कांच निर्माण, मिट्टी के पात्र, निर्माण सामग्री, पेंट और गोल्फ कोर्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है। 

- राजपाल लेघा, महानिदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग

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