पीलीभीत: जर्जर हो गई 3.48 करोड़ की सड़क, राज्यमंत्री के पैतृक गांव से शाही तक बदतर हालात

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Published By Pradeep Kumar
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पीलीभीत, अमृत विचार। चार साल पहले 3.48 करोड़ की लागत से बनाई गई पांच किमी की सड़क करीब एक साल से बदहाल है। पहले सड़क जगह-जगह से उखड़ना शुरू हुई और अब कई जगह गहरें गड्ढे भी हो चुके हैं। ग्रामीणों को आवागमन में दिक्कत आ रही है। हादसे भी होते हैं। अब सर्दी के दिनों मे कोहरे की दस्तक के साथ खतरा और बढ़ गया है। मगर, जिम्मेदारों की ओर से सुधार कराने की सुध नहीं ली गई है।जबकि अभी समयावधि भी पूरी नहीं हो सकी है।

जहानाबाद कस्बे से शाही गांव तक जाने वाली 5.27 किमी की सड़क का निर्माण कार्य 22 नवंबर 2019 से शुरू कराया गया था। सड़क निर्माण कार्य 20 अगस्त 2020 को पूरा कर लिया गया।  इसमें 3.48 करोड़ रुपये की लागत आई।  हरदाई के एक ठेकेदार ने इसका निर्माण किया।  ये सड़क ग्रामीण अभियंत्रण विभाग द्वारा बनवाई गई थी।  इस सड़क की अनुरक्षण अवधि अगस्त 2020 से अगस्त 2025 तक है।  इस अवधि के दौरान सड़क में टूट फूट और अन्य कमी आने पर ठेकेदार को ही सुधारना है। इसे लेकर ठेकेदार की 31.52 लाख रुपये की राशि बतौर जमानत जमा है। मगर, अनुरक्षण अवधि पूरी होने से पहले ही ये सड़क जर्जर हो गई। स्थानीय लोगों की मानें तो एक साल पहले सड़क उखड़ना शुरू हो गई। इसकी देखरेख पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। जिसके चलते पहले सड़क उखड़ती गई और अब गहरे गड्ढे हो चुके हैं। इस मार्ग से गुजरते वक्त राहगीरों को काफी समस्या उठानी  पड़ती है।  इन दिनों कोहरा अधिक पड़ने लगा है। आगे मौसम और बिगड़ेगा। ऐसे में राहगीरों को हादसे का डर बना हुआ है।  यह सड़क राज्यमंत्री के पैतृक गांव से होकर गुजर रही है। इसके बावजूद जिम्मेदार बेसुध बने हुए हैं।

तो कोराना काल में ठेकेदार ने कर दिया खेल
इस सड़क का निर्माण कार्य जब हुआ उस वक्त कोरोना काल चल रहा था। उस वक्त कोरोना  से बचाव को ही प्राथमिकता पर लिया जा रहा था। जिम्मेदारों की व्यस्तता रही और ठेकेदार को खेल करने का पूरा मौका मिल गया।   जिसके चलते इसके बनने के समय कोई ध्यान नहीं दिया गया।  एक साल से अधिक समय से सड़क जर्जर हालत में है।  जिम्मेदार इतनी भी सुध नहीं ले सके हैं, कि ठेकेदार से इसकी मरम्मत ही करा दी जाए।

मामला मेरे संज्ञान में नहीं था। मौके पर जाकर सड़क की स्थिति का अवलोकन किया जाएगा।   जर्जर सड़क हैं, तो उसको दुरुस्त कराया जाएगा। - राजेश कुमार, अधीक्षण अभियंता आरईएस

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