UP बना दुनिया का सबसे पसंदीदा धार्मिक पर्यटन स्थल, प्रयागराज, अयोध्या और वाराणसी लोगों के फेवरेट

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचारः भगवान राम की नगरी अयोध्या, वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम और कान्हा नगरी मथुरा समेत अन्य धार्मिक स्थलों पर तेजी से बढ़ रही श्रद्धालुओं की तादाद और महाकुंभ में करोड़ो स्नानार्थियों के पहुंचने से उत्साहित उत्तर प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि आने वाले कुछ वर्षों में घनी आबादी वाला यह राज्य धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में भारत का पंसदीदा स्थल होगा।

अधिकृत सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि वैश्विक पर्यटन की अर्थव्यवस्था का 2032 तक 2.2 अरब डॉलर तक होने का अनुमान है। ताजा रुझानों और करीब 500 ऐसे प्रसिद्ध स्थलों के कारण भारत की इसमें महत्वपूर्ण हिस्सेदारी होगी। इस हिस्से में एक बड़ा योगदान उत्तर प्रदेश का होगा।

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इसकी कई वजहें हैं। भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या, उनके वनवास का सबसे प्रमुख पड़ाव चित्रकूट, मां विंध्येश्वरी धाम श्रीकृष्ण, राधा और ग्वालबालों की यादें सजोए मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, गोवर्धन, तीरथराज प्रयाग, तीनों लोकों से न्यारी भगवान शिव की काशी के कारण धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन के लिहाज से उत्तर प्रदेश का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है।

ऐसे स्थलों के साथ कुछ और इस तरह के स्थलों का विकास करने के लिए सरकार तरह-तरह की योजनाएं बना रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने एक स्पीच के दौरान बताया कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के बाद वाराणसी और आस-पास के क्षेत्रों में वर्ष 2023 में 10 करोड़ से अधिक पर्यटक/श्रद्धालु आए। इसी तरह अयोध्या में रामजन्भूमि पर भगवान श्रीराम का दिव्य एवं भव्य मंदिर बनने के बाद यहां रोज आने वाले पर्यटको/श्रद्धालुओ की संख्या एक से डेढ़ लाख तक है। यह देश के किसी भी धार्मिक स्थल पर आने वाले पर्यटकों/श्रद्धालुओं से अधिक है।

एक रिपोर्ट के अनुसार पंजाब स्थित सिखों के सबसे पवित्र स्थल स्वर्ण मंदिर में आने वाले रोज के पर्यटक/श्रद्धालु का औसत एक लाख के करीब है। जम्मू कश्मीर में मां वैष्णो देवी पहुंचने वालों की औसत संख्या 32 से 40 हजार है। इसी विजन के अनुरूप किए गए प्रयासों के कारण धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन के साथ प्रदेश की आर्थिक तरक्की का जरिया भी बन रहा है।

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आपको बता दें नीति आयोग के सुझाव पर योगी सरकार वाराणसी और प्रयागराज को मिलाकर एक नया धार्मिक क्षेत्र विकसित करने जा रही है। इस धार्मिक क्षेत्र में प्रयागराज और वाराणसी के अलावा चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, मीरजापुर, भदोही जिले शामिल होंगे। इस क्षेत्र का आकार 22 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक का होगा। करीब दो करोड़ 38 लाख से अधिक लोगों के जीवन पर सकारात्मक असर पड़ेगा। इस परिकल्पना के साकार होने पर उत्तर प्रदेश के धार्मिक पर्यटन को पंख लग जाएंगे।

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धार्मिक पर्यटन के साथ सरकार का फोकस संबंधित क्षेत्र के बुनियादी विकास पर भी है। अयोध्या और रामसनेही घाट के बीच एक इंडस्ट्रियल सेक्टर बनाने की योजना है। यहीं काम केंद्र सरकार की मदद से प्रयागराज में भी किया जाना है। प्रयागराज और वाराणसी धार्मिक क्षेत्र में भी औद्योगिक क्षेत्र और नॉलेज पार्क बनाने की योजना है। इससे पर्यटन के अलावा इन क्षेत्रों में भी स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। इस क्षेत्र में आने वाले कई जिले पूर्वांचल के हैं, लिहाजा पूर्वांचल की प्रगति को भी नया आयाम मिलेगा।

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