पीलीभीत: अभिरक्षा से अभियुक्त के भागने के मामले में तीन पुलिसकर्मी दोषमुक्त...दस साल पुराने मामले में आया फैसला

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Published By Pradeep Kumar
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पीलीभीत, अमृत विचार। उत्तराखंड के खटीमा में हुई पेशी से लौटते वक्त पुलिसकर्मियों को चकमा देकर एक अभियुक्त फरार हो गया था। इस मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पूजा गुप्ता ने तीन पुलिसकर्मियों को लगाए गए आरोपों से दोषमुक्त कर दिया है।

अभियोजन कथानक के अनुसार प्रतिसार निरीक्षक ओमपाल सिंह ने 28 अप्रैल 2015 को कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें बताया था कि मुख्य आरक्षी रामभरोसे लाल निवासी मईरसीदपुर थाना कायमगंज जिला फर्रूखाबाद, आरक्षी हरीश कुमार निवासी भैसोड़ी थाना मिलक जिला रामपुर हाल निवासी (घटना के समय) रिजर्व पुलिस लाइन पीलीभीत, और आरक्षी हबीबुल रहमान निवासी मन्नूनगर थाना फैजगंज बेहटा जिला बदायूं 28 अप्रैल 2015 को बंदी कुलदीप सिंह पुत्र महेन्द्र सिंह और राजवीर सिंह उर्फ राजा पुत्र कुलदीप सिंह निवासीगण ग्राम बरादुनवा थाना अमरिया जिला पीलीभीत को चोरी के एक मुकदमें में  थाना नानकमत्ता की तारीख के सम्बन्ध में उत्तराखंड के जनपद के उधमसिंह नगर में न्यायिक मजिस्ट्रेट खटीमा की अदालत में पेशी के लिये ले गये थे। वापस लौटते समय विकास भवन पीलीभीत के पास पहुंचते ही आरोपी कुलदीप ने अपने पेट मे दर्द होने और शौच के लिये जाने की बात कही। इस पर तीनों पुलिस कर्मियों द्वारा रात करीब साढे आठ बजे जेल रोड पर शौच के लिये उसे बैठा दिया गया। इस दौरान दोनों आरोपी हथकड़ी छुड़ाकर पोस्टमार्टम हाउस की तरफ भागने लगे। तीनों पुलिसकर्मियों ने दौड़ाकर आरोपी कुलदीप को मय हथकड़ी पकड़ लिया। जबकि राजवीर अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गया। पुलिस कर्मियों की लापरवाही के कारण राजवीर सिंह उर्फ राजा पुलिस अभिरक्षा से भागना बताया गया। पुलिस ने विवेचना के बाद आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया।

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पूजा गुप्ता की अदालत में हुई। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने और पत्रावली का परिशीलन करने के बाद तीनों पुलिसकर्मी रामभरोसे लाल, हरीश कुमार और हबीबुल रहमान को धारा-223 आईपीसी के आरोप से दोषमुक्त कर दिया है।  की किसी प्रकार की कोई लापरवाही साबित नहीं होती है। जबकि उक्त मुकदमा अभियुक्तगण की लापरवाही से उनकी हिरासत में अभियुक्तगण के भागने के सम्बन्ध में है। न्यायालय ने यह भी लिखा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के विरुद्ध लगाये गये अभियोग अन्तर्गत धारा-223 भारतीय दण्ड संहिता को युक्तियुक्त संदेह से परे साबित करने में पूर्णतः असफल रहा है।

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