नए दौर में बदलती परंपरा, रात्रि में स्नान से लगते हैं दोष: यहां जानें- गंगा स्नान के नियम...
कानपुर, अमृत विचार। संस्थापक अध्यक्ष ज्योतिष सेवा संस्थान के आचार्य पवन तिवारी ने बताया कि हिंदू धर्म में विशेष रूप से गंगा, यमुना और सरस्वती को बहुत सम्मान दिया जाता है, यह सिर्फ नदियां नहीं बल्कि भगवान का अवतार हैं इसलिए, सदियों से, लोग इन पवित्र नदियों और जल में डुबकी लगाने के लिए दूर-दूर से आते हैं। और पवित्र नदियों में स्नान करते है।यह व्यक्ति को मन की शांति से लेकर पापों और बुराइयों से भी मुक्ति दिलाता हैं।
पवित्र नदियों में स्नान का महत्व
हरिद्वार, ऋषिकेश या किसी अन्य शहर में गंगा नदी में ‘गंगा स्नान’ या नहाने की प्रथा विशेष रूप से बहुत प्रसिद्ध है गंगा केवल एक नदी नहीं है उसे ‘मां गंगा’ कहा जाता है गंगा नदी में डुबकी लगाने से आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है मकर संक्रांति, कुंभ मेला और गंगा दशहरा जैसे त्यौहारों पर हमेशा लाखों लोग दूर-दूर से गंगा में अपने पापों को धोने और बेहतर जीवन जीने के लिए स्नान करने जाते हैं।
नए दौर में बदलती परंपरा
आजकल के बदलते दौर में लोगों ने परंपराओं को भी अपने अनुसार करना शुरु कर दिया है आजकल लोग किसी भी समय कोई भी कार्य कर लेते हैं मसान होली खेलने वाले युवाओं से लेकर सूर्यास्त के बाद या रात के समय पवित्र नदियों में स्नान करने वाले लोगों के समूह तक, इस तरह की हरकतें बढ़ रही हैं लोगों को लगता है कि सूर्यास्त के बाद या रात के समय तापमान कम होगा, या भीड़ कम होगी, या थोड़ी गोपनीयता होगी, और फिर वे सूर्यास्त के बाद डुबकी लगाने का फैसला करते हैं लेकिन वह इस बात से अनजान है कि इस तरह के कार्य जीवन में बहुत सी परेशानियों को न्योता देते हैं।
रात्रि में स्नान से लगते हैं दोष
परंपरागत रूप से पवित्र नदियों में सही समय पर ही स्नान या डुबकी लगानी चाहिए पुराणों के अनुसार रात का समय यक्षों के लिए डुबकी लगाने और पवित्र नदियों के पास बैठने का समय होता है अब, यक्ष बुरी आत्माएं नहीं हैं बल्कि पानी, जंगल, पेड़ आदि से जुड़ी प्रकृति की आत्माएं हैं ये प्राणी रात के दौरान सक्रिय होते हैं और ऐसे समय में पवित्र नदियों में प्रवेश करना अशुभ माना जाता है।रात में नदी में स्नान करने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ता है और देवताओं का विश्राम भंग होता है इसके अलावा, रात में नदी में स्नान करने से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।
त्रिवेणी स्नान से 10 पाप हो जाते हैं खत्म
त्रिवेणी में स्नान करने मात्र से पापों का नाश होता है तथा अनंत पुण्यफल की प्राप्ति होती है। स्मृतिग्रंथ में दस प्रकार के पाप बताए गए हैं। कायिक, वाचिक और मानसिक। इनके अनुसार किसी दूसरे की वस्तु लेना, शास्त्र वर्जित हिंसा, परस्त्री गमन ये तीन प्रकार के कायिक यानी शारीरिक पाप हैं। कटु बोलना, असत्य भाषण, परोक्ष में यानी पीठ पीछे किसी की निंदा करना, निष्प्रयोजन बातें करना ये चार प्रकार के वाचिक पाप हैं। इनके अलावा परद्रव्य को अन्याय से लेने का विचार करना, मन में किसी का अनिष्ट करने की इच्छा करना, असत्य हठ करना ये तीन प्रकार के मानसिक पाप हैं।
गंगा स्नान के नियम
1. गंगा स्नान से पहले सामान्य जल से अच्छे से नहा लें। गंगा नदी में सिर्फ डूबकी लगाएं। पवित्र नदी में शरीर का मैल न निकालें।
2. गंगा नदी में मनुष्य की अशुद्धि नहीं जानी चाहिए। स्नान करते समय शरीर को हाथों से नहीं रगड़ना चाहिए।
3. गंगा स्नान करने के बाद शरीर को कपड़े से नहीं पोंछना चाहिए। जल को शरीर पर ही सुखने देना चाहिए।
4. मृत्यु या जन्म सूतक के समय भी गंगा स्नान किया जा सकता है, लेकिन महिलाओं को अपवित्र स्थिति में गंगा स्नान नहीं करना चाहिए।
5. घर पर नहाने की स्थिति में गंगाजल की कुछ बूंदे या कम मात्रा ही नहाने के पानी में मिलाकर नहाएं।
