‘लाइव ड्रिल’ से जंगलों की आग बुझाने को कर्मचारियों की ‘अग्निपरीक्षा’
अंकुर शर्मा, हल्द्वानी। फायर सीजन में वनाग्नि बुझाने के लिए कर्मचारियों को पहले अग्निपरीक्षा देनी होगी। जंगलात ने इस बार परंपरागत मॉक ड्रिल के बजाय शुरू से लेकर अंत तक (एंड टू एंड) लाइव ड्रिल के जरिए जंगलों की आग को काबू में करने की रणनीति तैयार की है। फरवरी के पहले सप्ताह में तराई के जंगलों में इस लाइव ड्रिल से वनाग्नि प्रबंधन की परीक्षा ली जाएगी।
अमूमन वनों में आग का सीजन 15 फरवरी से 15 जून तक का माना जाता है हालांकि पिछले कुछ वर्षों में यह सीजन मानसून के आने तक कभी जुलाई तक भी चलता है। वनाग्नि को लेकर पिछले बार जनपद में बहुत हाहाकार मचा था। सेना से ऑपरेशन बाबी बकेट के जरिए हेलीकॉप्टर से जंगलों की आग बुझाई थी। वैसे तो वन विभाग भी वनाग्नि को लेकर मॉक ड्रिल करता है लेकिन परंपरागत इस ड्रिल में एक छोटे से हिस्से में आग लगाई जाती है जिसमें वन कर्मी मौके पर पहुंच कर आग बुझाते हैं हालांकि इसकी सूचना कर्मचारियों को पूर्व से ही होती है। ऐसे में ड्रिल का मकसद पूरा नहीं होता है सिर्फ कर्मचारियों का वनाग्नि बुझाने का व्यवहारिक ज्ञान की ही परख होती है लेकिन यह ड्रिल कारगर साबित नहीं हो रही है।
इधर, इस बार वन विभाग ने पहली बार एंड टू एंड लाइव ड्रिल कराने का फैसला किया है। इसमें कर्मचारियों को बिना किसी पूर्व सूचना के जंगल के किसी भी हिस्से में आग लगाई जाएगी। फिर फॉरेस्ट फायर ऐप और अन्य साधनों से आग की सूचना दी जाएगी। फिर फायर अलर्ट की सूचना पर वन टीम का रिस्पॉन्ड टाइम, अलर्टनेस, आग बुझाने में लगा समय और आसपास की बीट/रेंज के साथ समन्वय आदि का परीक्षा होगी। इसका डाटा जुटाया जाएगा। इस ड्रिल के जरिए कर्मचारियों की कमी का पता चलेगा और इनमें सुधार के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित किया जाएगा। फरवरी के पहले सप्ताह से तराई के जंगलों में इस ड्रिल का आयोजन शुरू हो जाएगा।
पहली बार परंपरागत नहीं बल्कि लाइव ड्रिल की जाएगी। इस एंड टू एंड ड्रिल में वनाग्नि की सूचना सिर्फ मास्टर कंट्रोल रूम को होगी किसी रेंज या बीट को इसकी सूचना नहीं दी जाएगी। जैसे फायर सीजन में आग लगते है, उसी तरह वनाग्नि का अलर्ट दिया जाएगा। जहां आग लगी है, वहां की टीम का रिस्पांड टाइम, आग बुझाने का तरीका, आग बुझाने में लगेगा समय व आसपास निकटवर्ती वन टीमों के साथ समन्वय की रिपोर्ट की जांच की जाएगी।- हिमांशु बागरी, डीएफओ तराई पूर्वी वन डिवीजन, हल्द्वानी
जब टीम स्पॉट पर पहुंचेगी तभी ऐप से गायब होगा अलर्ट
हल्द्वानी : डीएफओ बागरी ने बताया कि वन विभाग ने एक फॉरेस्ट फायर एप लॉन्च की है। यह एप वन कर्मचारियों के फोन में लोड है। इस एप की खूबी यह है कि जब तक वन कर्मी फायर स्पॉट से 500 मीटर के दायरे में नहीं पहुंचेंगे तब तक एप पर एलर्ट शो होता रहेगा। ऐसे में वन टीम को आग बुझाने के लिए मौके पर जाना ही होगा। इस फीचर को भी ड्रिल में शामिल किया गया है।
9 रेंज हैं तराई पूर्वी वन डिवीजन में
हल्द्वानी : तराई पूर्वी वन डिवीजन के ८२,५०० हेक्टेयर में फैले जंगल ऊधम सिंह नगर, और नैनीताल जिले में फैले हुए हैं। राई पूर्वी डिवीजन के तहत गौला, डौली, किशनपुर, रनसाली, बाराकोली, खटीमा, किलपुरा, दक्षिणी जौलासाल और सुरई रेंज आती है। सुरई, खटीमा और किलपुरा नेपाल से सटी हुई है। इसके अलावा रनसाली व किशनपुर का जंगल नंधौर सेंचुरी से मिलता हुआ है।
