दिल्ली विधानसभा चुनाव की भविष्यवाणी: बृहस्पति की महादशा के दौरान अरविंद केजरीवाल हुए थे गिरफ्तार ...मुख्यमंत्री का पद भी छूटा
कानपुर टीम, अमृत विचार। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 5 फरवरी 2025 को होने वाले चुनावों के लिए अपना नामांकन भर दिया है। इंटरनेट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, अरविंद केजरीवाल की जन्म कुंडली 16 अगस्त 1968 और 00:30 AM दिल्ली की कुंडली है यह वृषभ लग्न तथा मेष राशि की कुंडली है, कुंडली के तृतीय भाव में सूर्य मंगल, चतुर्थ भाव में बुध शुक्र तथा बृहस्पति, पंचम भाव में केतु, एकादश भाव में राहु, द्वादश भाव में शनि चंद्रमा की युति है जो विष योग बना रही है। जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव में तीन ग्रह बहुत अच्छा योग बना रहे हैं जिसके कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद मिला।
संस्थापक अध्यक्ष ज्योतिष सेवा संस्थान के आचार्य पवन तिवारी ने बताया कि केजरीवाल की कुंडली में बृहस्पति की महादशा 18 मार्च 2010 से चल रही है, जिसमें वह दिल्ली के मुख्यमंत्री बने लेकिन 6 अक्टूबर 2023 से बृहस्पति महादशा में राहु के अंतर्दशा चल रही है जोकि बहुत अशुभ कही जाएगी इसी अंतर्दशा में अरविंद केजरीवाल गिरफ्तार हुए और दिल्ली का मुख्यमंत्री पद छूट गया।
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हालांकि एकादश भाव के राहु को अच्छा मानते हैं लेकिन यदि हम दूसरे सूत्र से देखें तो बृहस्पति जोकि दशनाथ है और राहु इस समय भुक्तिनाथ है, दोनों का आपस में षडाष्टक बना हुआ है ज्योतिष में से दो ग्रहों के षडाष्टक को सबसे खराब स्थिति कहा गया है यह स्थिति दशानाथ तथा भुक्तिनाथ के बीच में 36 के आंकड़े जैसी स्थिति कही जाती है, जिसमें कई बार मित्र होते हुए भी ग्रह शुभ फल नहीं दे पाते और इस कुंडली में देखें तो राहु एकादश भाव में होने पर भी बृहस्पति की महादशा में अच्छा फल नहीं देगा क्योंकि यह अपने शत्रु से अष्टम में पड़ रहा है ऐसी स्थिति में आकस्मिक संकट उभर आते हैं।
क्या कहती है साढ़ेसाती?
ग्रह स्थिति को देखते हुए मार्च 2025 से अरविंद केजरीवाल की मेष राशि पर शनि की साढ़ेसाती भी शुरू हो जाएगी और यह साढ़ेसाती का पहला चरण केजरीवाल के लिए बहुत कष्टकारी रहने वाला है राहु की अन्तर्दशा और शनि की गोचरीय स्थिति में उन्हें चुनाव जीतने के लिए बहुत अधिक परिश्रम करना पड़ेगा जनसंपर्क को अधिक प्रभावी बनाना होगा ग्रहों की स्थिति को देखें तो मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्हें एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ सकता है यदि येनकेन किसी प्रकार से चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री का पद मिल भी जाता है तो राजनीतिक कार्यकाल मुश्किल भरा होगा।
दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे और नतीजे 8 फरवरी को आएंगे। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की स्थापना कुंडली हम 1 फरवरी 1992 की लेते हैं जब संविधान के 69 वें संशोधन के बाद यहाँ विधायिका की स्थापना को मंज़ूरी मिली थी। दिल्ली राज्य की कुंडली (1 फरवरी 1992, मध्य रात्रि) को तुला लग्न की बनती है। तुला लग्न की इस कुंडली में चन्द्रमा की महादशा में शुक्र का अंतर सितम्बर 2023 से मई 2025 तक है।
चन्द्रमा और शुक्र दोनों स्त्री कारक ग्रह हैं, जिस कारण से तीनों राष्ट्रीय पार्टियां आप, बीजेपी और कांग्रेस महिला वोटरों को लुभाने में चुनाव प्रचार के शुरुआती दिनों से लगी हुई हैं। वर्तमान में चन्द्रमा में शुक्र की अंतर और बुध की प्रत्यंतर दशा 10 जनवरी से 7 अप्रैल तक दिल्ली राज्य की तुला लग्न की कुंडली में चल रही है। जिसमे एक दिलचस्प चुनाव परिणाम आने के संकेत हैं।
प्रत्यान्तर्दशा नाथ बुध का सिंहासन के चतुर्थ भाव में होकर योगकारक शनि और लाभेश सूर्य से युति करना राज्य की सत्ताधारी पार्टी के लिए शुभ है। किन्तु प्रदेश के कुछ बड़े नेता अप्रत्याशित चुनाव नतीजों से झटका भी खा सकते हैं।
बुध-राहु के प्रभाव में है बीजेपी
दिल्ली विधानसभा चुनावों में वर्ष 2020 में 38% से कुछ अधिक मत हासिल करने के बावजूद भाजपा को अपनी प्रतिद्वंदी आम आदमी पार्टी की 62 सीटों के मुकाबले केवल 8 सीट प्राप्त हुई थी। पिछले चुनावों में आम आदमी पार्टी बीजेपी से 15% अधिक मत हासिल कर बम्पर सीटें जीतने में कामयाब हो गयी थी।
बीजेपी की मिथुन लग्न की कुंडली (6 अप्रैल 1980, सुबह 11 बजकर 45 मिनट दिल्ली) की है। वर्तमान में चन्द्रमा में बुध की अंतर और राहु की प्रत्यंतर दशा 1 दिसंबर 2024 से 17 फरवरी 2025 तक चल रही है। चन्द्रमा प्रतियोगिता और विवाद के छठे भाव में नीच का है किन्तु अपने राशि स्वामी मंगल से दृष्ट होकर एक अच्छे नीचभंग योग में सम्मिलित है। बुध का नवम भाव में केतु से युत होना कपटी योग का निर्माण कर रहा है जो की बीजेपी के लिए कुछ अशुभ है। प्रत्यंतर दशानाथ राहु के प्रभाव के चलते बीजेपी की चुनाव रणनीति कमज़ोर पड़ सकती है।
नोट - यह ज्योतिषीय आंकलन है।
