दिल्ली विधानसभा चुनाव में रंग लाई भगवा लहर, योगी का लक्ष्य पूरा, राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा कद

भाजपा के नए चाणक्य बनकर उभरे योगी आदित्यनाथ

दिल्ली विधानसभा चुनाव में रंग लाई भगवा लहर, योगी का लक्ष्य पूरा, राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा कद

भास्कर दूबे, लखनऊ, अमृत विचार: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को अपने कई लक्ष्य पूरे कर लिए.. योगी भारत की राजनीति और धर्मनीति के महायोगी बनकर उतरे हैं। आज तक के परिणाम बता रहे हैं कि मिल्कीपुर के मन में, दिल्ली के दिल में, हरियाणा के हृदय में, उत्तराखंड के उर में और महाकुंभ के मानस में वही समाए हैं। आस्था और विकास, सनातन और सियासत के मध्य उनके द्वारा बनाए गए अपराजेय संतुलन से राजनीतिक पंडित भी हतप्रभ हैं।

कश्मीर से कन्याकुमारी तक योगी की जन स्वीकार्यता सनातन संस्कृति से जुड़े हुए केंद्रों का उनके द्वारा किया जा रहा कायाकल्प, उत्तर प्रदेश का हो रहा तीव्र बहुआयामी एवं धारणीय विकास और महाकुंभ का सफल और सुलभ संचालन योगी की नीतियों की सफलता की एक नजीर है। महाकुंभ के लिए श्रद्धालुओं को लेकर निर्धारित लक्ष्य 40 करोड़ की जगह 42 करोड़ शनिवार की सुबह पूरा हो गया और शनिवार की शाम को ही अयोध्या की हार का बदला भी मिल्कीपुर उपचुनाव में जीत के बाद पूरा हो गया। इसी तरह दिल्ली में भी योगी के ‘बंटोगे तो कटोगे’नारे ने अपना कमाल महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तराखंड की तरह दिखाया। चुनाव में लगातार भाजपा को मिल रही जीत से योगी की अहमियत पूरे देश में बढ़ गई है। अब तो राजनीति के पंडित इन्हें भाजपा का चाणक्य कहने लगे हैं।

राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि महाकुंभ के प्रभाव से दिल्ली में जो भगवा लहर चली उसने राष्ट्रीय राजधानी का नक्शा ही बदल कर रख दिया और पिछले चुनाव में 8 सीटों पर सिमट चुकी भाजपा ने इस बार 48 सीटों का आंकड़ा पार कर रही है।

महाराष्ट्र और हरियाणा में प्रचंड जीत हासिल करने वाली भाजपा के हौसले दिल्ली चुनाव के मतगणना के रुझानों से ही बुलंद थे। याद होगा कि महाराष्ट्र जीत के बाद ही भाजपा नेताओं ने यह कहना शुरू कर दिया था कि, महाराष्ट्र तो झांकी है, दिल्ली जीतना बाकी है। दिल्ली चुनाव से कुछ महीने पहले ही दिल्ली भाजपा ने महाराष्ट्र चुनाव का परिणाम आने के साथ ही दिल्ली में ‘परिवर्तन यात्रा’शुरू कर दी थी।

योगी की महाकुंभ में डुबकी और केजरीवाल को चुनौती

2020 और 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में बड़ा फर्क आया है। 2020 तक अरविंद केजरीवाल की छवि एक ईमानदार नेता की बनी हुई थी, लेकिन जिस तरह अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले के जाल में फंसे हैं, उससे उनकी छवि को बहुत बड़ा धक्का लगा है। इसके अलावा, इस बार यमुना नदी की गंदगी पर भी आप बुरी तरह फंसी हुई थी। खासकर योगी ने जिस तरह से महाकुंभ में डुबकी लगाकर दिल्ली में आकर अरविंद केजरीवाल से यमुना में डुबकी लगाने की चुनौती दी थी, वो लोगों के दिल में उतरी। आम लोग भी यही कहते नजर आए कि केजरीवाल क्यों नहीं यमुना में डुबकी लगाते।

दरअसल, आप और कांग्रेस दोनों को मुस्लिम बहुल इलाके में बड़ा नुकसान हुआ। योगी के बंटोगे तो कटोगे का नारा यहां हिट होता दिखा। कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला रहा, जिसमें भाजपा ने बाजी मार ली। दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों में असदउद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी भाजपा को तो पीछे धकेल नहीं पाई, मगर उसने इस चुनावी जंग से कांग्रेस और आप को जरूर बाहर कर दिया।

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