प्रयागराज: संभल की शाही जामा मस्जिद की मरम्मत और सजावट के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल की जामा मस्जिद की रंगाई-पुताई के मामले में मस्जिद कमेटी की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पक्षकारों के बीच समानता को संतुलित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि रमजान के पवित्र महीने के दौरान सांप्रदायिक सद्भाव कायम रखा जाए, इसलिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को संभल की शाही जामा मस्जिद का निरीक्षण करने का निर्देश दिया, जिससे रमजान महीने से ठीक पहले रंगाई-पुताई और सजावटी व्यवस्था की आवश्यकता का आकलन किया जा सके। लेकिन इस दौरान मस्जिद के किसी ढांचे को बिना नुकसान पहुंचाए रंगाई-पुताई कैसे संभव होगी, यह तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट के बाद कोर्ट द्वारा शुक्रवार यानी 28 फरवरी 2025 को तय किया जाएगा।
कोर्ट ने एएसआई को शुक्रवार सुबह 10 बजे तक इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कमेटी के सदस्यों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक विशेषज्ञ, एक वैज्ञानिक और जिला प्रशासन का एक अधिकारी होगा। कोर्ट ने कमेटी में मस्जिद के मुतवल्ली को भी शामिल किया है। रिपोर्ट में यह बताया जाएगा कि मस्जिद की रंगाई-पुताई किस तकनीक से की जाएगी, किन रंगों और सामग्रियों का उपयोग होगा और संरचना को बचाने के लिए कौन-कौन से उपाय अपनाए जाएंगे। उक्त आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकलपीठ ने शाही जामा मस्जिद, संभल की प्रबंधन समिति द्वारा दाखिल एक आवेदन पर पारित किया है, जिसमें मस्जिद की मरम्मत और सजावट के संबंध में विपक्षियों की आपत्तियों को चुनौती दी गई थी। मस्जिद की प्रबंधन समिति की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने तर्क दिया कि एएसआई अनावश्यक रूप से मरम्मत के कार्य में आपत्ति कर रहा है, जबकि इस तरह के काम को करने की जिम्मेदारी एएसआई की ही है।
इसके जवाब में एएसआई के अधिवक्ता ने बताया कि समिति के अधिकारियों द्वारा एएसआई के अधिकारियों को मस्जिद परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। इसके अलावा हिंदू वादियों/विपक्षी संख्या-1 की ओर से अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कोर्ट को बताया कि मरम्मत की आड़ में मस्जिद के अंदर कथित रूप से मौजूद हिंदू कलाकृतियों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा सकती है। इस पर कोर्ट ने उन्हें आश्वासन दिया कि इस बात का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
गौरतलब है कि संभल की शाही जामा मस्जिद कमेटी की प्रबंधन समिति ने अपर पुलिस अधीक्षक, संभल के समक्ष आवेदन दाखिल कर 1 मार्च 2025 से शुरू होने वाले रमजान महीने में मस्जिद की रंगाई-पुताई और मरम्मत के लिए अनुमति मांगी थी, जिसे 11 फरवरी 2025 को संबंधित अधिकारियों द्वारा यह कहकर खारिज कर दिया गया कि मस्जिद एक संरक्षित स्मारक है, इसलिए कोई भी कार्य शुरू करने से पहले प्रबंधन समिति को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से अनुमति लेनी होगी। इसके खिलाफ मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में वर्तमान याचिका दाखिल की। याचिका में समिति ने बताया कि यह कार्य हमेशा उनके द्वारा ही किए गए हैं, न कि एएसआई द्वारा। समिति ने पुलिस अधीक्षक और एएसआई द्वारा प्रबंधन समिति के अधिकार में अनुचित बाधा उत्पन्न करने की बात भी कही, जो संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत संरक्षित है। कोर्ट के आदेश के बाद एएसआई के अधिवक्ता ने कोर्ट से एएसआई टीम के सदस्यों की सुरक्षा का आग्रह किया। हालांकि कोर्ट ने इस अनुरोध को अनावश्यक बताते हुए खारिज कर दिया।
