रामपुर के नवाबों की तैयार कराई आम की कई कलमें आज भी सदाबहार, स्वाद में भी बेमिसाल

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Published By Vikas Babu
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सुहेल जैदी, रामपुर। रामपुर के नवाबों द्वारा तैयार कराई गई आम की कई कलमें आज भी सदाबहार हैं। बनारसी की तर्ज पर लंगड़ा और मलिहाबाद की तर्ज पर रामपुर की दशहरी प्रसिद्ध है। शाहबाद का लक्खीबाग, खासबाग और बेनजीर में आम की कई किस्म के पेड़ हैं। रामपुर का आम विशेष वाहनों से गुजरात के पोरबंदर बंदरगाह पहुंचता है और वहां से जलयानों द्वारा यूरोप के कई देशों को निर्यात किया जाता है।

लजीज व्यंजनों की तरह रामपुर नवाबी दौर से आम के लिए भी जाना जाता रहा है। प्रसिद्ध शायर मिर्जा असद उल्लाह खां गालिब को भी आम बहुत पसंद थे। मिर्जा गालिब अपनी शायरी के साथ ही अपनी हाजिर जवाबी के लिए भी जाने जाते हैं। एक बार सड़क किनारे आमों का ढेर पड़ा था उधर से टहलता घूमता एक गधा आया और उसने आमों को सूंघा और आगे बढ़ गया। तभी गालिब के एक दोस्त ने कहा कि देखो गधे भी आम नहीं खाते, गालिब ने दोस्त को बरजस्ता जवाब दिया कि हां गधे आम नहीं खाते। आम के सीजन में रामपुर में आम की दावतें होने का रिवाज है। जिसमें पानी में भीगे हुए हर किस्म के आम मेहमानों के लिए परोसे जाते हैं।

स्वाद में आज भी बेमिसाल, तमाम लोग आज भी इन आमों के दीवाने
पूर्व सांसद बेगम नूरबानो बताती हैं कि नवाब कलबे अली खां ने आम की कई कलमें तैयार कराईं जिनमें समर बहिश्त, लैली, फजरी प्रमुख हैं। नवाब हामिद अली खां इसके अलावा बनारसी लंगड़े की तरह रामपुरी लंगड़ा और मलिहाबादी दशहरी की तर्ज पर रामपुरी दशहरी  भी अपनी अलग पहचान रखते हैं। यह स्वाद में बेमिसाल हैं और तमाम लेाग आज भी इन आमों के दीवानें हैं। रामपुरी लंगड़े की गुठली बहुत पतली और इसका छिलका भी कागजी होता है। दशहरी अपनी भीनी खुशबू के साथ सुनहरी रंग की होती है और इसकी गुठली भी बहुत पतली होता है इसमें रेशा नहीं होता है। बाजार में इसका कोई तोड़ नहीं है।

प्लाटिंग करने वाले कर रहे आम के बागों का सफाया
स्वार रोड पर ठोठर और, मोरी गेट, डूंगरपुर निकट पुलिस लाइन और डायमंड सिनेमा के निकट समेत शहर में कई जगह प्रापर्टी डीलर्स ने आम के बागों को साफ कर दिया। इसमें वन विभाग की भूमिका भी संदिग्ध है। डायमंड सिनेमा के निकट वक्फ की जमीन पर कब्जा करके आम के बाग को कटवाकर प्लाटिंग कर दी गई है। जिसके कारण रामपुर की बेहतरीन रहने वाला पर्यावरण अब बिगड़ने लगा है।  

एक नजर-
जनपद में आम के बागों का रकबा- 3405 हेक्टेयर
प्रति हेक्टेयर आम की पैदावार- 12.9 मीट्रिक टन
प्रतिवर्ष आम का उत्पादन- 43925 मीट्रिक टन लगभग

उद्यान विभाग ने जिले में मैंगों पैक हाउस की स्थापना के भी प्रयास तेज कर दिए हैं। तीन प्रस्ताव शासन को भेजे जा चुके हैं।  मैंगों पैक हाउस बनने से आम के व्यापारियों को और लाभ मिलेगा। निर्यातकों द्वारा आम के बागों के ठेके ले लिए गए हैं। विदेशों को फजली और चौसा आम भेजा जाता है क्योंकि, इसका छिलका मोटा है और यह आम लंबे समय तक खराब नहीं होता है- वरुण कुमार, वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक।

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