प्रयागराज: ऑनर किलिंग के मामले में आरोपियों की जमानत रद्द कर हिरासत के दिए निर्देश

प्रयागराज: ऑनर किलिंग के मामले में आरोपियों की जमानत रद्द कर हिरासत के दिए निर्देश

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'ऑनर किलिंग' के एक मामले में सात व्यक्तियों की दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए कहा कि कानून की यह एक सर्वमान्य मान्यता है कि एक व्यक्ति झूठ बोल सकता है, लेकिन परिस्थितियां कभी झूठ नहीं बोलतीं हैं, जैसे वर्तमान मामले में सत्य को छुपाने के प्रयास में झूठ बोलने वाले गवाहों को भी बाद में सत्य को स्वीकार करना पड़ा कि अपनी बेटी/बहन का रिश्ता अस्वीकार होने के कारण उन्होंने उसकी हत्या की।

उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरी की खंडपीठ ने वर्ष 2006 में ऑनर किलिंग के एक दुखद मामले में अपनी बेटी और उसके प्रेमी की हत्या करने वाले आरोपी इब्राहिम और अन्य की याचिकाओं को खारिज करते हुए की। कोर्ट ने पाया कि रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्यों के विश्लेषण से यह स्पष्ट हो जाता है कि सूचना देने वाले ने मृतक की हत्या से इनकार नहीं किया बल्कि उन्होंने कहानी को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने की कोशिश की।

कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि चश्मदीद गवाह ने घटना की समग्रता से इनकार नहीं किया था, साथ ही घटनास्थल पर आरोपी व्यक्तियों की उपस्थिति से भी इनकार नहीं किया था। अतः ऐसी परिस्थितियों में ट्रायल कोर्ट, मेरठ को वर्तमान मामले में नए सिरे से सुनवाई की अनुमति नहीं देनी चाहिए। अंत में कोर्ट ने आईपीसी की धारा 147, 302, 149 के तहत अपर सत्र न्यायाधीश द्वारा अपीलकर्ताओं को दोषी ठहराने के निष्कर्ष से सहमति जताते हुए आपराधिक अपीलों को खारिज कर दिया और दोषसिद्धि के फैसले को बरकरार रखा।

कोर्ट ने आरोपी इब्राहिम, कयूम और फारूक की जमानत रद्द करते हुए उन्हें सजा काटने के लिए तत्काल हिरासत में लेने का निर्देश दिया और अन्य अपीलकर्ताओं सन्नूर, शौकीन, नुसरत और अयूब के पहले से जेल में होने के कारण उनके संबंध में कोई नया आदेश नहीं दिया।

मामले के अनुसार शिकायतकर्ता रईस अहमद ने दर्ज प्राथमिकी में आरोपियों इब्राहिम और उसके 6 बेटों और दो अन्य व्यक्तियों द्वारा 5 फरवरी 2006 को उसके भाई शराफत की हत्या का आरोप लगाया। आरोपों में संशोधन के बाद शिकायतकर्ता और अन्य गवाह अपने पूर्व के बयानों से मुकर गए। सभी गवाहों ने हत्याओं के लिए अपीलकर्ताओं के बजाय 13-14 अज्ञात बदमाशों को जिम्मेदार ठहराया।

हालांकि ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों को हत्या का दोषी ठहराते हुए उनकी सजा मुकर्रर कर दी। सजा को चुनौती देते हुए आरोपियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां आरोपियों के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि किसी भी गवाह ने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया है, साथ ही किसी ने भी घटना नहीं देखी।

सरकारी अधिवक्ता ने आरोपियों के खिलाफ मजबूत साक्ष्यों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह मामला 'ऑनर किलिंग' का है, जहां अपीलकर्ताओं ने अपनी बेटी/बहन और शिकायतकर्ता के भाई शराफत की हत्या की है, क्योंकि आरोपी उनके रिश्ते के खिलाफ थे।

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