माओवादियों ने छत्तीसगढ़ सरकार के सामने शांति वार्ता का रखा प्रस्ताव, कहा- पुलिस को हम दुश्मन नहीं जनता का रक्षक मानते हैं
बस्तर। छत्तीसगढ़ में माओवादियों ने एक बार फिर राज्य सरकार के सामने शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा है। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया, “हम वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए पहले अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है।”
उन्होंने कहा कि शांति वार्ता के लिए सुरक्षा बलों की कार्रवाई रुकनी चाहिए। वार्ता एकपक्षीय न होकर, दोतरफा होनी चाहिए। जारी बयान के मुताबिक, हाल में ही उनकी केंद्रीय कमेटी ने भी सरकार के सामने शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उस पर विचार नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि वे शांति वार्ता के लिए स्थानीय नेताओं से मिलना चाहते हैं। उनकी राय लेना चाहते हैं।
भाकपा (माओवादी) ने कहा, “पुलिस जवानों को हम दुश्मन नहीं मानते हैं। उन्हें हम जनता का रक्षक मानते हैं।” उन्होंने पीएलजीए नक्सलियों से भी अपील की है कि पुलिस बलों पर हमला न करें और जनसमर्थन से बातचीत का रास्ता निकालें।
हाल ही, में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह बस्तर प्रवास पर आये थे, जहां उन्होंने नक्सलियों से समर्पण करने और हथियार छोड़कर मुख्यधारा में जुड़ने की अपील की थी। गौरतलब है कि सरकार राज्य के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से नक्सलियों की समस्या को दूर करने का हरसंभव प्रयास कर रही है। सरकार ने 31 मार्च 2026 तक इन क्षेत्रों को नक्सल मुक्त बनाने का प्रतिबद्धता व्यक्त की।
