कानपुर में एमकेयू कंपनी का गोपनीय डाटा चोरी...बुलेटप्रूफ प्रोडक्ट बनाती हैख, थाने में सुनवाई न होने पर डिप्टी मैनेजर ने कोर्ट की शरण ली
कानपुर, अमृत विचार। बुलेटप्रूफ जैकेट, हेलमेट और बैलेस्टिक प्रोडक्ट बनाने वाली एमकेयू कंपनी का डाटा चोरी हो गया। कंपनी के अधिकारियों ने इसकी शिकायत पुलिस से की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद कंपनी ने कोर्ट की शरण ली। अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन के आदेश के बाद साइबर थाने में कंपनी के डिप्टी मैनेजर लॉ की ओर से रिपोर्ट दर्ज की गई है। पुलिस ने जांच शुरू की है।
चकेरी क्षेत्र के गांधी ग्राम स्थित एमकेयू कंपनी में अशोक नगर निवासी डिप्टी मैनेजर लॉ गौतम मतानी ने बताया कि एमकेयू लिमिटेड कंपनी बैलेस्टिक प्रोडक्टस जैसे बुलेटप्रूफ जैकेट व हेलमेट बनाती और बेचती है। कंपनी के प्रोडक्ट एक्सपोर्ट भी किए जाते हैं। कंपनी 35 साल से इस क्षेत्र में काम कर रही है।
उन्होंने बताया कि कंपनी बैलेस्टिक उत्पादों के एक्सपोर्ट में भारत के रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय व वाणिज्य मंत्रालय से नियमानुसार प्रत्येक निर्यात से पूर्व सभी मंत्रालयों की अधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करके एक्सपोर्ट की अनुमति व अनापत्ति प्रमाण पत्र लेती है। अनापत्ति प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही कंपनी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट करती है।
उन्होंने बताया कि अगस्त 2024 में कंपनी के सूत्रों से पता चला कि रक्षा मंत्रालय (एमओडी) की अधिकारिक वेबसाइट पर कंपनी के पोर्टल में कुछ अनाधिकृत व्यक्ति एक्सेस कर गए और कंपनी का अत्यंत गोपनीय डेटा चोरी कर लिया। इस घटना के बाद कंपनी ने 7 सितंबर 2024 को रक्षा मंत्रालय को मेल भेजकर जानकारी मांगी कि एक जनवरी 2024 से 31 मई 2024 के बीच किस-किस आईपी एड्रेस के माध्यम से कंपनी के पेज पर एक्सेस किया गया था।
उन्होंने बताया कि कंपनी जिन भी प्रोडक्ट को एक्सपोर्ट करती है, उसका पूरा विवरण रक्षा मंत्रालय की अधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड होता है, जिसमें प्रोडक्ट के डिजाइन से लेकर एक्सपोर्ट करने की जानकारी होती है। वेबसाइट का लॉगिन आईडी और पासवर्ड रक्षा मंत्रालय की ओर से प्रदान किया जाता है।
5 माह में 4 हजार आईपी एड्रेस से हुआ एक्सेस
डिप्टी मैनेजर लॉ के अनुसार ईमेल के जवाब में रक्षा मंत्रालय की ओर से 4000 आईपी एड्रेस का डाटा कंपनी को भेजा गया, जो पांच माह में वेबसाइट से कंपनी के पेज पर गई। सभी चार हजार आईपी एड्रेस की कंपनी ने जांच की तो उसमें 700 आईपी एड्रेस संदिग्ध मिले। इसके बाद पुलिस को सूचित किया गया, लेकिन कोई सुनवाई न होने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया।
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