Kanpur में कथावाचक देवकी नंदर ठाकुर बोले- गौमाता, गीता और गंगा का सम्मान हर भारतीय का धर्म, धर्मशास्त्र और शास्त्र में बताया अंतर

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। विश्व प्रसिद्ध भागवत आचार्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने बुधवार को लाजपत नगर स्थित विश्व शांति सेवा समिति के नए कानपुर कार्यालय का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि अगर हम समय रहते एकजुट नहीं हुए, तो हमारा हाल भी बांग्लादेश जैसा हो सकता है। हमें आपस में भेदभाव भूलाकर, एक-दूसरे का सहयोग करते हुए, मिलजुल कर रहना होगा। देवकीनंदन ने कहा कि माता-पिता, गौमाता, गीता और गंगा का सम्मान करना हर भारतीय का धर्म है। गीता को केवल सुनना नहीं, उसे जीवन में धारण करना ही सच्ची श्रद्धा का परिचायक है।

लाजपत नगर स्थित विश्व शांति सेवा समिति के नए कार्यालय में श्रद्धालु भक्तों ने भारी उत्साह और श्रद्धा से कार्यक्रम में हिस्सा लिया। यहां देवकीनंदन के स्वागत में भक्त सड़कों के किनारे खड़े दिखे। विश्व शांति सेवा समिति  के सचिव बिपिन बाजपेई ने बताया कि आगामी श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव का आयोजन दिनांक 24 अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2025 तक किया जाएगा। कथा का शुभारंभ भव्य कलश यात्रा के साथ होगा और कथा के दौरान भक्तों को श्रीमद्भागवत के अमृत रूपी प्रवचनों का रसपान करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। 

देवकीनंदन ने पत्रकारों सवालों का जवाब देते हुये कहा कि अगर हिंदू नहीं बचा और भारत नहीं बचा तो क्या आप सांसद, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री बन पाओगे? देश और हिंदू सुरक्षित रहा तो ही आपको सभी तरह से आगे बढ़ने का चांस मिलेगा। अगर हिंदुओं की रक्षा नहीं की तो जिनको जो बनना है वो बन चुके। देश पर विपत्ति आ गई तो कुछ नहीं बन पाओगे। मेरा आग्रह है कि नेता लोग अपनी पार्टी, विचारों से ऊपर उठ कर देशहित के बारे में सोचें। कार्यक्रम में शिव प्रकाश गुप्ता, जय माला सिंह, प्रभा शंकर वर्मा, सतीश गुप्ता, नीरज वर्मा, विनय यादव, अनिल श्रीवास्तव, चुन्नी लाल गुप्ता, अजय मिश्रा, डॉ. यूपी सिंह, नीलम सेंगर, माया सिंह, रानी अवस्थी, राजू पांडे, आभा गुप्ता, रेनू भदौरिया, रानी अवस्थी, किरण तिवारी, प्रीति मिश्रा आदि रहे।

धर्मशास्त्र और शास्त्र में बताया अंतर

धर्मशास्त्र और शास्त्र में अंतर बताते हुए कथावाचक देवकीनंदन ने कहा कि शास्त्रों का मतलब ज्ञान देना होता है, जबकि धर्मशास्त्रों में जीवन जीने की कला सिखाते हैं। आजकल जो शास्त्र हमें पढ़ाए जा रहे हैं, उनमें सिखाया जाता है कि पैसा कैसे कमाएं। धर्मशास्त्र से जीवन कैसे जिया जाए, यह सिखाते हैं। आज जो समाज में विकृति आई है, पत्नी-पति की हत्या कर रही हैं, पति–पत्नी की हत्या कर रहा है। यह समस्या सिर्फ इसलिए है कि हमने रामायण नहीं पढ़ी है।

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