बच्चे को बुखार, खांसी, सांस में दिक्कत हो तो रहें सतर्क, कानपुर में विशेषज्ञ बोले- इलाज में देरी पड़ सकती भारी, दी ये सलाह...
कानपुर, अमृत विचार। स्वरूप नगर स्थित एक होटल में रविवार को भारतीय बाल रोग अकादमी ने आईएपी प्रेसिडेंशियल एक्शन प्लान 2025 के तहत आरटीआई-जेम यानी रेस्प्रेरेट्री ट्रैक इंफेक्शन गाइडलाइन एजेकुशन एंड मैनेजमेंट विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया। बच्चों में होने वाले गंभीर श्वसन तंत्र, संक्रमणों की पहचान, निदान और उपचार पर नई राष्ट्रीय निर्देशों की जानकारी साझा की गई।
रायबरेली से आए डॉ.अजय श्रीवास्तव ने बताया कि निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है, जिसकी वजह से बुखार, खांसी, सांस लेने दिक्कत व सीने में दर्द होता है। बच्चों में निमोनिया बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से हो सकता है। ऐसे में इन लक्षणों की पहचान होना बच्चे के माता-पिता को जरूरी है। क्योंकि लापरवाही और इलाज में देरी से बच्चे की जान पर भी बन आ सकती है। झांसी से आए डॉ. घनश्याम चौधरी ने बताया कि निमोनिया का प्रबंधन एंटीबायोटिक दवाओं, सांस लेने की मशीन और अन्य सहायक उपचारों से किया जा सकता है। निमोनिया की रोकथाम के लिए टीकाकरण, हाथ धोना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना महत्वपूर्ण है। अधिकांश आरटीआई वायरल होते हैं और उन्हें एंटीबायोटिक से ठीक नहीं किया जा सकता है। एंटीबायोटिक का अधिक उपयोग करने से एंटीबायोटिक प्रतिरोध बढ़ सकता है, जिसका मतलब है कि भविष्य में एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग कम प्रभावी हो सकते हैं, इसलिए संतुलित मात्रा में एंटीबायोटिक देना चाहिए।
एंटीबायोटिक का बेवजह प्रयोग को रोकना उद्देश्य
चंडीगढ़ से आए डॉ. गौरव गुप्ता ने ब्रोंकिओलाइटिस और कंम्प्लीकेटेड आटीआई के केस बेस्ड अपडेट पर जानकारी दी। डॉ. राज तिलक व डॉ. यशवंत राव ने लोकल प्रैक्टिस में गाइडलाइंस का अनुप्रयोग और पेरेंटल एजुकेशन पर जोर दिया। वहीं, बाल रोग विशेषज्ञों ने कम्युनिटी अक्वायर्ड निमोनिया, क्रूप, ब्रोंकिओलाइटिस, ओटाइटिस मीडिया, बार-बार होने वाले व जटिल निमोनिया पर चर्चा की। डॉ. शैलेंद्र गौतम ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य माता-पिता को जागरूक करना व सही समय पर इलाज शुरू करने और एंटीबायोटिक के अनावश्यक प्रयोग को रोकना है।
यह बाल रोग विशेषज्ञ रहे मौजूद
पूर्व डीजीएमई डॉ. वीएन त्रिपाठी, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र गौतम, बाल रोग अकादमी के सचिव डॉ.अमितेश यादव, डॉ. रोली श्रीवास्तव, डॉ. केके डोकानिया, डॉ. अनुराग भारती, डॉ. ललित अरोड़ा, डॉ. महेश खट्टर, डॉ. जेएस नरंग, डॉ. ओपी भट्ट, डॉ. शीला चित्रांशी, डॉ. पीके टंडन समेत शहर के करीब 60 बाल रोग विशेषज्ञ मौजूद रहे।
