बरेली: नकली कीटनाशकों का गोरखधंधा बेनकाब, हजारों फर्जी रैपर बरामद
बरेली, अमृत विचार: बारादरी क्षेत्र के माधोबाड़ी में पुरानी माचिस की फैक्ट्री में नकली कीटनाशक के रैपर बनाने के खेल का पुलिस ने पर्दाफाश किया है। फैक्ट्री के भीतर संचालित एक गोदाम से हजारों की संख्या में कीटनाशक कंपनियों के फर्जी रैपर बरामद हुए हैं। पुलिस ने यह कार्रवाई टू बडी कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि प्रेमचंद शर्मा की सूचना पर की है। पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर पूछताछ कर रही है।
बारादरी थाना प्रभारी धनंजय पांडे ने बताया कि माधोबाड़ी में पुरानी माचिस की फैक्ट्री में नकली कीटनाशक के रैपर बनाए जा रहे थे। इन्हें बरेली समेत आसपास के जिलों में सप्लाई किया जाता था। फैक्ट्री को मार्डन नर्सरी निवासी अर्पण अग्रवाल संचालन कर रहे थे।
फैक्ट्री से पुलिस ने सिजेंटा, एफएमसी इंडिया, कोर्टेवी, धानुका, वायरक्रॉप और पायनियर जैसी नामी कृषि कंपनियों के प्रोडक्ट रैपर बड़ी संख्या में बरामद किए हैं। वर्टाको के 600, फरटेश के 1900, फराडन के 88, फरटेरा के 1700, पायनियर के 920, कलडान के 234 और लिसेंटा के 51 रैपर मिले हैं।
पुलिस को अंदेशा है कि इन खाली रैपरों का उपयोग नकली कीटनाशक उत्पादों के निर्माण और वितरण में किया जा रहा था। टू बडी कंसल्टिंग के सहायक प्रबंधक प्रेमचंद शर्मा की तहरीर पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर अर्पण अग्रवाल को मौके से गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस के अनुसार आरोपी ने पूछताछ में बताया कि यह रैपर पूरी तरह अवैध हैं और इनका उपयोग केवल मूल निर्माण कंपनियों द्वारा किया जा सकता है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक नकली कीटनाशक बनाने वाले गिरोह इन रैपरों को बाजार से खरीदते हैं और उनके जरिए नकली उत्पादों को असली ब्रांड की तरह पैक करके किसानों को बेचते हैं।
यह न केवल किसानों की फसलों के लिए खतरनाक हैं, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा पर भी सीधा हमला है। आरोपी अर्पण अग्रवाल से पुलिस पूछताछ कर रही है। जिससे काले धंधे से जुड़े लोगों तक पुलिस पहुंच सके।
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