Vat Savitri Vrat 2025: इस तारीख को मनाई जाएगी वट सावित्री व्रत और साेमवती अमावस्या, अभी नोट करें शुभ मुहूर्त और विधि

लखनऊ, अमृत विचार। ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखा जाता है। इस बार वट सावित्री व्रत यानी बरगदाही 26 मई सोमवार को है। ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि सावित्री ने यमराज से पति सत्यवान के प्राण छुड़ाकर पुनजीर्वित करा लिया था। अखंड सुहाग की कामना से सुहागिनें व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं। वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्माजी, तने में विष्णु जी और डालियों व पत्तियों में भगवान शिव का वास माना जाता है।
अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई को दोपहर 12:11 बजे से 27 मई को सुबह 8 : 31 बजे तक रहेगी। ज्येष्ठ अमावस्या को तिथि दोपहर के समय में वट वृक्ष का पूजन करना श्रेष्ठ है। वट सावित्री व्रत के दिन चन्द्रमा कृतिका नक्षत्र और मेष राशि में दिन में 1:40 तक रहेगा। इसके उपरान्त वृषभ राशि का संयोग बना रहे है। बुध आदित्य योग और मालव्य योग भी बनेगा।
व्रत विधान-- प्रातःकाल स्नान आदि के बाद बांस की टोकरी में सप्त धान्य रख कर ब्रह्मा जी की मूर्ति की स्थापना कर फिर सावित्री की मूर्ति की स्थापना करते हैं। दूसरी टोकरी में सत्यवान और सावित्री की मूर्तियों की स्थापना करके टोकरी को वट वृक्ष के नीचे जाकर ब्रह्मा, सत्यवान व सावित्री की पूजा करके वट (बरगद) की जड़ में जल देते हैं। वट वृक्ष (बरगद) के नीचे बैठ कर सावित्री और सत्यवान की कथा भी सुननी चाहिए। पूजन विधि-पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भीगा चना, फूल तथा धूप से पूजन करते है। वट वृक्ष पूजन में तने पर कच्चा सूत लपेट कर 7, 21 अथवा 108 परिक्रमा का विधान है लेकिन न्यूनतम सात बार परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए।
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